अनूपपुर। इस समय जहां देश में करोनो महाकारी का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। इससे बचाव व सुरक्षा के लिए शासन व प्रशासन मिलकर काम कर रहे है। वहीं नगर से लेकर जिला व प्रदेश से दिल्ली तक के नेता एकजुट हो गए है। इसके बाद भी जनता की समस्याओं को सुनने वाला कोई नही है। अनूपपुर नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रो में करोना महामारी में हरिजन आदिवासी, पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक एवं गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने सामान्य वर्ग के दुख दर्द को समझने वाला कोई नहीं है। पूरा प्रशासन जहां सिर्फ कोरोना संक्रमण के बीच उलझे हुए है, वहीं अनूपपुर नगर के 15 वार्डो की जनता को शुद्ध पेयजल तक नसीब नही हो रहा है। जबकि नेता इन 7 वर्षों में पेयजल राज्य शासन से अधोसंरचना के तहत हो रहे कार्य पर किसी भी नेता वा प्रशासनिक अधिकारी द्वारा गंभीरता से नहीं लिया जाना उचित समझा इतना ही केंद्र व राज्य सरकार द्वारा गरीब असहाय व्यक्तियों एवं प्रवासी मजदूरों को राशन उपलब्ध हो रहा है या नही इसकी भी कोई चिंता नही है और न ही नेताओं द्वारा किसी तरह का प्रयास किया जा रहा है, नेता अपने दायित्व को भूल चुके है। जनसेवक किसी भी दल के हो और अपने आप को नेता मानते भी हो तो जनता की मूलभूत सुविधाओं पर उनका हक दिलाने का कार्य सर्वोपरी होना चाहिए। इस महामारी में सभी गरीब जनों की इस आर्थिक मंदी पर बैनर, पोस्टर, राजनीतिक फिजूलखर्ची ना कर गरीब को दो वक्त के भोजन की व्यवस्था भी नेता का धर्म होता है। अपने आप को नेता बनाना और कहना आसान है लेकिन जनसेवक बनाना कठिन है, आज की लोकतंत्र व्यवस्था में जन सेवकों की कमी है। अनूपपुर जिले में नेताओं की भरमार है जिनसे मेरा निवेदन है कि नेतागण जनसेवक बनते हुए गरीब जनता मदद करें।
आज की लोकतांत्रिक व्यवस्था में जन सेवक की कमी-जयंत राव
अनूपपुर। इस समय जहां देश में करोनो महाकारी का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। इससे बचाव व सुरक्षा के लिए शासन व प्रशासन मिलकर काम कर रहे है। वहीं नगर से लेकर जिला व प्रदेश से दिल्ली तक के नेता एकजुट हो गए है। इसके बाद भी जनता की समस्याओं को सुनने वाला कोई नही है। अनूपपुर नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रो में करोना महामारी में हरिजन आदिवासी, पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक एवं गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने सामान्य वर्ग के दुख दर्द को समझने वाला कोई नहीं है। पूरा प्रशासन जहां सिर्फ कोरोना संक्रमण के बीच उलझे हुए है, वहीं अनूपपुर नगर के 15 वार्डो की जनता को शुद्ध पेयजल तक नसीब नही हो रहा है। जबकि नेता इन 7 वर्षों में पेयजल राज्य शासन से अधोसंरचना के तहत हो रहे कार्य पर किसी भी नेता वा प्रशासनिक अधिकारी द्वारा गंभीरता से नहीं लिया जाना उचित समझा इतना ही केंद्र व राज्य सरकार द्वारा गरीब असहाय व्यक्तियों एवं प्रवासी मजदूरों को राशन उपलब्ध हो रहा है या नही इसकी भी कोई चिंता नही है और न ही नेताओं द्वारा किसी तरह का प्रयास किया जा रहा है, नेता अपने दायित्व को भूल चुके है। जनसेवक किसी भी दल के हो और अपने आप को नेता मानते भी हो तो जनता की मूलभूत सुविधाओं पर उनका हक दिलाने का कार्य सर्वोपरी होना चाहिए। इस महामारी में सभी गरीब जनों की इस आर्थिक मंदी पर बैनर, पोस्टर, राजनीतिक फिजूलखर्ची ना कर गरीब को दो वक्त के भोजन की व्यवस्था भी नेता का धर्म होता है। अपने आप को नेता बनाना और कहना आसान है लेकिन जनसेवक बनाना कठिन है, आज की लोकतंत्र व्यवस्था में जन सेवकों की कमी है। अनूपपुर जिले में नेताओं की भरमार है जिनसे मेरा निवेदन है कि नेतागण जनसेवक बनते हुए गरीब जनता मदद करें।

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