विभिन्न विभागो के अधिकारी-कर्मचारी एचआईव्ही एड्स कार्यशाला रही सूनी
अनूपपुर। संयुक्त कलेक्ट्रेट सभागार में २२ जनवरी को एचआईव्ही व एड्स से संबंधित जानकारी तथा बचाव के लिए जहां कार्यशाला के माध्यम से जिले के विभिन्न अधिकारियो एवं कर्मचारियो को प्रशिक्षण के माध्यम से जागरूक करने जिला चिकित्सालय द्वारा एचआईव्ही एड्स प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया, लेकिन इस कार्यशाला में जहां किसी भी विभाग के अधिकारियो एवं कर्मचारी की उपस्थिति नजर नही आई। या तो यह कहा जाए की जिला चिकित्सालय की टीम द्वारा अधिकारियो एवं कर्मचारियो को कार्यशाला के संबंध में किसी तरह की जानकारी सही समय पर उपलब्ध न कराकर जानकारी ही बचाव जैसे शब्दो को पत्रकारो के बीच कार्यशाला आयोजित करने की मजबूरी सामने देखी गई। जिसमें एचआईव्ही व एड्स के नोडल अधिकारी डॉ. आर.पी. सोनी द्वारा विस्तार से जानकारी पत्रकारो को दी। डॉ. आर. पी. सोनी ने बताया कि एड्स का प्रथम रोगी अमेरिको में सन् 1981 तथा मद्राम में १९८४ तथा मध्यप्रदेश के इंदौर में १९८८ में मिले थे। जिसके बाद जिले में वर्ष २००७ में एड्स के मरीज मिलने पर जिले में जांच प्रारंभ की गई। जिसमें बीते १० वर्षो में २००७ से दिसम्बर २०१७ तक ५८ हजार ७१९ मरीजो की जांच की जा चुकी है, जिसमें ३६ हजार ८६२ गर्भवती महिलाएं तथा २१ हजार ८५७ अन्य रहे। इस जांच में १७२ लोग एड्स से पीडित मिले जिनमें ९८ पुरूष, ४५ महिलाएं तथा २९ गर्भवती महिलाएं है। वहीं अब तक एड्स से १८ लोगो की मौत हो चुकी है। इतना ही नही वर्ष २०१७ के आंकडो में ६ हजार ९०४ गर्भवती महिलाओ तथा १९६३ अन्य की जांच की गई, जांच में एड्स के ३७ मरीज सामने आए जिनमें २० पुरूष, ९ महिलाएं तथा ८ गर्भवती महिलाएं है। डॉ. आर. पी. सोनी ने बताया कि एचआईव्ही एड्स के प्रमुख चार कारण है, जिसमें पीडित व्यक्ति के साथ असुरक्षित संबंध, दूषित खून, दूषित टीको और सुईयो तथा पीडित माता के गर्भ में पल रहे बच्चो अगर मॉ एड्स से पीडित है तो से होता है, जिसमें जानकारी ही बचाव है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आर.पी. श्रीवास्तव ने बताया कि जिला चिकित्सालय सहित 16 स्थानों में एड्स की जांच एवं काउंसलिंग की व्यवस्था है। तथा एड्स के मरीज से संबंधी सभी जानकारी गुप्त रखी जाती है। वहीं इस कार्यशाला में जहां एचआईव्ही एड्स से संबंधित अधिकारियो एवं कर्मचारियो को जागरूकता करने का क्रम जिला चिकित्सालय का अधूरा से दिखा जिसमें किसी भी विभाग के कोई भी अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित नही रहे।
अनूपपुर। संयुक्त कलेक्ट्रेट सभागार में २२ जनवरी को एचआईव्ही व एड्स से संबंधित जानकारी तथा बचाव के लिए जहां कार्यशाला के माध्यम से जिले के विभिन्न अधिकारियो एवं कर्मचारियो को प्रशिक्षण के माध्यम से जागरूक करने जिला चिकित्सालय द्वारा एचआईव्ही एड्स प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया, लेकिन इस कार्यशाला में जहां किसी भी विभाग के अधिकारियो एवं कर्मचारी की उपस्थिति नजर नही आई। या तो यह कहा जाए की जिला चिकित्सालय की टीम द्वारा अधिकारियो एवं कर्मचारियो को कार्यशाला के संबंध में किसी तरह की जानकारी सही समय पर उपलब्ध न कराकर जानकारी ही बचाव जैसे शब्दो को पत्रकारो के बीच कार्यशाला आयोजित करने की मजबूरी सामने देखी गई। जिसमें एचआईव्ही व एड्स के नोडल अधिकारी डॉ. आर.पी. सोनी द्वारा विस्तार से जानकारी पत्रकारो को दी। डॉ. आर. पी. सोनी ने बताया कि एड्स का प्रथम रोगी अमेरिको में सन् 1981 तथा मद्राम में १९८४ तथा मध्यप्रदेश के इंदौर में १९८८ में मिले थे। जिसके बाद जिले में वर्ष २००७ में एड्स के मरीज मिलने पर जिले में जांच प्रारंभ की गई। जिसमें बीते १० वर्षो में २००७ से दिसम्बर २०१७ तक ५८ हजार ७१९ मरीजो की जांच की जा चुकी है, जिसमें ३६ हजार ८६२ गर्भवती महिलाएं तथा २१ हजार ८५७ अन्य रहे। इस जांच में १७२ लोग एड्स से पीडित मिले जिनमें ९८ पुरूष, ४५ महिलाएं तथा २९ गर्भवती महिलाएं है। वहीं अब तक एड्स से १८ लोगो की मौत हो चुकी है। इतना ही नही वर्ष २०१७ के आंकडो में ६ हजार ९०४ गर्भवती महिलाओ तथा १९६३ अन्य की जांच की गई, जांच में एड्स के ३७ मरीज सामने आए जिनमें २० पुरूष, ९ महिलाएं तथा ८ गर्भवती महिलाएं है। डॉ. आर. पी. सोनी ने बताया कि एचआईव्ही एड्स के प्रमुख चार कारण है, जिसमें पीडित व्यक्ति के साथ असुरक्षित संबंध, दूषित खून, दूषित टीको और सुईयो तथा पीडित माता के गर्भ में पल रहे बच्चो अगर मॉ एड्स से पीडित है तो से होता है, जिसमें जानकारी ही बचाव है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आर.पी. श्रीवास्तव ने बताया कि जिला चिकित्सालय सहित 16 स्थानों में एड्स की जांच एवं काउंसलिंग की व्यवस्था है। तथा एड्स के मरीज से संबंधी सभी जानकारी गुप्त रखी जाती है। वहीं इस कार्यशाला में जहां एचआईव्ही एड्स से संबंधित अधिकारियो एवं कर्मचारियो को जागरूकता करने का क्रम जिला चिकित्सालय का अधूरा से दिखा जिसमें किसी भी विभाग के कोई भी अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित नही रहे।
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