समाज के लिए बनी प्रेरणा, कृषि कार्य, ऑटो रिक्शा के बाद खोली किराना दुकान
अनूपपुर। प्रदेश शासन की ऐसी योजना जिसमें ग्रामीण क्षेत्र की घरेलू महिलाओ को आर्थिक एवं समाजिक रूप से स्वालंबी बना उन्हे समाज के लोगो के सामने खड़ा होने का नया आयाम दिया गया। जनपद पंचायत जैतहरी अंतर्गत ग्राम बरबसपुर में निवास करने वाली सीमा सिंह के पति राजेन्द्र सिंह की अचानक मौत हो जाने के बाद जहां पूरा परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा था, वहीं सीमा सिंह ने म.प्र. राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से संचालित स्व-सहायता समूह में जुडकर जीवकोपार्जन के लिए रोजगार का साधन जोड आज पूरे परिवार का भरण पोषण कर रही है। महिला सीमा सिंह ने बताया कि उसके पति राजेन्द्र ङ्क्षसह की मृत्यु के पश्चात उसके सामने दो बच्चो की शिक्षा एवं उनके भरण पोषण करने आर्थिक तंगी आ गई थी, जिसके बाद महिला ने कृषि कार्य करने के साथ ही घर में सिलाई का कार्य कर प्रतिमाह १५०० रूपए आय प्राप्त कर जीवन यापन कर रही थी, जिसके बाद भी उसे आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता था, जिसके बाद सीमा सिंह ने २३ जनवरी २०१३ को आजीविका मिशन की समूह प्रेरक संध्या मिश्रा से मिली जिन्होने मुझे लक्ष्मी स्व-सहायता समूह में जोडा और समूह के माध्यम से १० हजार का ऋण लिया तथा उसका उपयोग कृषि कार्य एवं सब्जी उत्पादन बढाने में लगाया। जिसके फलस्वरूप सब्जी उत्पादन में पहले की अपेक्षा अधिक लाभ मिलने लगा और मैने ऋण के १० हजार भी जमा कर दिए साथ ही मैने बोर भी करवा लिया है। जिसके बाद मैने वर्ष २०१६ में समूह से १ लाख का ऋण लेकर ऑटो रिक्शा खरीदा और उसमें ड्राइवर रखकर बरबसपुर-अनूपपुर व अनूपपुर -बरबसपुर चलवाने लगी, जिससे मुझे 8 से 10 हजार रूपए प्रतिमाह का लाभ होने लगा और अब तक मैने समूह से लिया १ लाख के ऋण में ८० हजार रूपए जमा कर चुकी हूं। जिसके बाद मैने कृषि और ऑटो के माध्यम से प्राप्त आय के बचत से घर पर ही वर्ष २०१७ में किराना दुकान भी प्रारंभ की हॅू, जिससे मुझे प्रतिमाह ३ हजार रूपए का लाभ प्राप्त हो रहा है जिसके कारण मैने एक मोटर साईकिल क्रय करने के साथ ही घर में शौचालय बनवाया जिसका पूरा परिवार उसका उपयोग करता है। सीमा ने बताया कि समूह से जुडऩे के बाद अब मेरे दोनो बच्चो को प्राइवेट विद्यालय में पढाई कर रहे है। जिसके कारण मै और मेरे दोनो बच्चो बहुत खुश रहते है। आजिविका मिशन द्वारा संचालित स्व-सहायता समूह निश्चित तौर पर महिलाओं के लिए वरदान साबित हुआ है, वहीं सीमा ने बताया कि अब वह आगे आलू चिप्स बनाने वाली मशीन लेकर उद्योग लगाने के प्रयास में है। सीमा ने बताया कि मेरे आर्थिक स्थिति में बदलाव आने पर जो लोग मुझे उपेक्षा की दृष्टि से देखते थे वही लोग आज मेरा सम्मान करने लगे है। वहीं इस पूरे कार्य में मेरे ससुर बृजमोहन सिंह तथा देवर का भी मुझे आत्मबल मिलता रहा।
कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें