प्रतिभा व हुनर को बताया माता-पिता का संस्कार
अनूपपुर। बच्चो के प्रतिभा एवं उनके हुनर जो उनके जीवन के साथ एजुकेशन पर भी प्रभाव डालते है। उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए परिजनो का सहयोग भी उतना ही जरूरी है। जहां अनूपपुर जिला के जैतहरी निवासी आदित्य कुमार गुप्ता का है, जो अपने बचपन में कार्टून कैरेक्टर को लेकर काफी प्रभावित रहे है, जिसे पाने की ललक और मेहनत के रूप में आदित्य ने कागज को तोड़ते मरोड़ते हुए कागज को कार्टून कैरेक्टर का रूप दे दिया। आदित्य ने बताया उसके पिता अशोक गुप्ता पुलिस में है, उस समय वे राजनगर में पदस्थ थे और पिता अक्सर अपने काम में व्यस्त रहते थे। जिसके कारण बाजार में बिकने वाले प्लास्टिक के कार्टून कैरेक्टर के न मिलने पर वह हताश हो जाता, जहां मॉ रंजना गुप्ता ने उसे बिजी रखने के लिए दिए गए संस्कार और बचपन में कार्टून कैरेक्टर के साथ खेलने की ललक में उसने कागजो को तोडऩा मारोडऩा प्रारंभ किया और ललक व हुनर ने उसे परिणाम स्वरूप बाजार में बिकने वाले प्लाटिक के कार्टून कैरेक्टर जैसे बना कर छोड़ा। आदित्य गुप्ता ने बताया की बिजुरी नगर में सेंट जोसेफ विद्यालय में पढ़ते हुए कार्टून कैरेक्टर को कागज में बनाना शुरू किया, वहीं उन कैरेक्टर को बनाने में इतने व्यस्त हो गया की पढ़ाई के बाद मिलने मिलने वाला समय उसने बाजार में बिकने वाली कार्टून कैरेक्टर को पूरी तरह से कागज में ढाल लिया। वहीं कक्षा ६वीं से कार्टून बनाने के लिए प्रयासरत आदित्य ने कक्षा 11 वीं तक आदित्य गुप्ता ने 12 से 15 कार्टून कैरेक्टर को कागज से बनाया है, वहीं इन कार्टून कैरेक्टर को बनाने के लिए उसने कागज और गोंद की मदद से अलग-अलग शरीर के हिस्से बनाए और एक दूसरे को जोड़कर कलर करते हुए उसे बिल्कुल बाजर में बिकने वाले कार्टून कैरेक्टर का रूप दे दिया। वहीं आदित्य की मेहनत और लगन के साथ किसी भी चीज को पाने की चाह ने जहां सिर्फ कागज और कलर का प्रयोग कर अपनी चाह को पूरा किया है। जहां आदित्य गुप्ता ने अपने इस अभिवन प्रयास से अब तक कागज के 15 कार्टून कैरेक्टर जिसमें आयरन मैन, डैडफूल, एडी, जेकू एवं ६ रोबोट एवं २ एक्शन कार्टून हीरो कागज से बनाया गया, जिसके सबसे बड़ी खास बात यह है की आदित्य गुप्ता की बनाई गई इन कार्टून कैरेक्टर के हर हिस्से को कागज से बनाया गया है, जहां रोबोट को अगर छोड़ दिया जाए तो हर कैरेक्टर के पूरे शरीर को 90 डिग्री तक मूव किया जा सकता है। वहीं आदित्य गुप्ता से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होने बताया की बचपन से उसे कार्टून कैरेक्टर को पाने की ललक थी, लेकिन बाजार में मंहगी होने के कारण तथा पिता के पुलिस की नौकरी में अधिकतर समय व्यस्त होने के कारण उसने उन कार्टून कैरेक्टर को पाने की ललक ने उसे मेहनत करने पर मजबूर किया और कागज से कॉर्टून कैरेक्टर को बनाने में सफलता पाई। आदित्य गुप्ता के अशोक गुप्ता जो वर्तमान समय में कोतवाली अनूपपुर में प्रधान आरक्षक के पद पर कार्यरत है उन्होने बताया की पुलिस की नौकरी में वे अक्सर बच्चे से दूर रहते थे, जहां उसकी मॉ रंजना गुप्ता ने अपने बच्चे को व्यस्त रखने के लिए पढ़ाई के बाद के समय उसे कागज को तोड़ते मरोड़ते देखा और उसके बाद उसे सहयोग भी प्रदान करने मार्गदर्शन देती रही। जहां आदित्य ने कागज को तोड़ते मरोड़ते हुए कुछ सालो बाद अपनी ललक को कागज को तोड़ते मरोडते हुए कार्टून कैरेक्टर में ढाल लिया। आदित्य गुप्ता वर्तमान समय में वल्र्ड एकेडमी स्कूल बेमवरा छ.ग. में कक्षा 12 वीं में अध्ययनरत है। आदित्य ने बताया की वे कक्षा 12 वीं की परीक्षा के लिए तैयारियों में जुटे हुए है, जो आगे चलकर वे डॉक्टर बनान चाहते है। वहीं आदित्य ने हर कार्यो में मार्गदर्शन पाने का श्रेय अपने माता-पिता को दिया है।
अनूपपुर। बच्चो के प्रतिभा एवं उनके हुनर जो उनके जीवन के साथ एजुकेशन पर भी प्रभाव डालते है। उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए परिजनो का सहयोग भी उतना ही जरूरी है। जहां अनूपपुर जिला के जैतहरी निवासी आदित्य कुमार गुप्ता का है, जो अपने बचपन में कार्टून कैरेक्टर को लेकर काफी प्रभावित रहे है, जिसे पाने की ललक और मेहनत के रूप में आदित्य ने कागज को तोड़ते मरोड़ते हुए कागज को कार्टून कैरेक्टर का रूप दे दिया। आदित्य ने बताया उसके पिता अशोक गुप्ता पुलिस में है, उस समय वे राजनगर में पदस्थ थे और पिता अक्सर अपने काम में व्यस्त रहते थे। जिसके कारण बाजार में बिकने वाले प्लास्टिक के कार्टून कैरेक्टर के न मिलने पर वह हताश हो जाता, जहां मॉ रंजना गुप्ता ने उसे बिजी रखने के लिए दिए गए संस्कार और बचपन में कार्टून कैरेक्टर के साथ खेलने की ललक में उसने कागजो को तोडऩा मारोडऩा प्रारंभ किया और ललक व हुनर ने उसे परिणाम स्वरूप बाजार में बिकने वाले प्लाटिक के कार्टून कैरेक्टर जैसे बना कर छोड़ा। आदित्य गुप्ता ने बताया की बिजुरी नगर में सेंट जोसेफ विद्यालय में पढ़ते हुए कार्टून कैरेक्टर को कागज में बनाना शुरू किया, वहीं उन कैरेक्टर को बनाने में इतने व्यस्त हो गया की पढ़ाई के बाद मिलने मिलने वाला समय उसने बाजार में बिकने वाली कार्टून कैरेक्टर को पूरी तरह से कागज में ढाल लिया। वहीं कक्षा ६वीं से कार्टून बनाने के लिए प्रयासरत आदित्य ने कक्षा 11 वीं तक आदित्य गुप्ता ने 12 से 15 कार्टून कैरेक्टर को कागज से बनाया है, वहीं इन कार्टून कैरेक्टर को बनाने के लिए उसने कागज और गोंद की मदद से अलग-अलग शरीर के हिस्से बनाए और एक दूसरे को जोड़कर कलर करते हुए उसे बिल्कुल बाजर में बिकने वाले कार्टून कैरेक्टर का रूप दे दिया। वहीं आदित्य की मेहनत और लगन के साथ किसी भी चीज को पाने की चाह ने जहां सिर्फ कागज और कलर का प्रयोग कर अपनी चाह को पूरा किया है। जहां आदित्य गुप्ता ने अपने इस अभिवन प्रयास से अब तक कागज के 15 कार्टून कैरेक्टर जिसमें आयरन मैन, डैडफूल, एडी, जेकू एवं ६ रोबोट एवं २ एक्शन कार्टून हीरो कागज से बनाया गया, जिसके सबसे बड़ी खास बात यह है की आदित्य गुप्ता की बनाई गई इन कार्टून कैरेक्टर के हर हिस्से को कागज से बनाया गया है, जहां रोबोट को अगर छोड़ दिया जाए तो हर कैरेक्टर के पूरे शरीर को 90 डिग्री तक मूव किया जा सकता है। वहीं आदित्य गुप्ता से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होने बताया की बचपन से उसे कार्टून कैरेक्टर को पाने की ललक थी, लेकिन बाजार में मंहगी होने के कारण तथा पिता के पुलिस की नौकरी में अधिकतर समय व्यस्त होने के कारण उसने उन कार्टून कैरेक्टर को पाने की ललक ने उसे मेहनत करने पर मजबूर किया और कागज से कॉर्टून कैरेक्टर को बनाने में सफलता पाई। आदित्य गुप्ता के अशोक गुप्ता जो वर्तमान समय में कोतवाली अनूपपुर में प्रधान आरक्षक के पद पर कार्यरत है उन्होने बताया की पुलिस की नौकरी में वे अक्सर बच्चे से दूर रहते थे, जहां उसकी मॉ रंजना गुप्ता ने अपने बच्चे को व्यस्त रखने के लिए पढ़ाई के बाद के समय उसे कागज को तोड़ते मरोड़ते देखा और उसके बाद उसे सहयोग भी प्रदान करने मार्गदर्शन देती रही। जहां आदित्य ने कागज को तोड़ते मरोड़ते हुए कुछ सालो बाद अपनी ललक को कागज को तोड़ते मरोडते हुए कार्टून कैरेक्टर में ढाल लिया। आदित्य गुप्ता वर्तमान समय में वल्र्ड एकेडमी स्कूल बेमवरा छ.ग. में कक्षा 12 वीं में अध्ययनरत है। आदित्य ने बताया की वे कक्षा 12 वीं की परीक्षा के लिए तैयारियों में जुटे हुए है, जो आगे चलकर वे डॉक्टर बनान चाहते है। वहीं आदित्य ने हर कार्यो में मार्गदर्शन पाने का श्रेय अपने माता-पिता को दिया है।
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