एसटीएफ करेगी मामले की जांच,
पन्ना। जिले की संभवतः यह पहली घटना है जब किसी टाइगर की तार के फांसी के फंदे में फंसकर मौंत हुई, जिससे टाईगर रिजर्व में के गश्ती पर सवाल खड़ा हो गया है।इसी का परिणाम हैं कि बाघ के फांसी के फंदे में मौंत के पांच दिन बाद देखा जा सका। एक वर्ष के दौरान चार बाघों की मौंत हो चुकी है। इसी कडी में एक आज आश्चर्यजनक घटना घटी है, जिसमें उत्तर वन मंडल के तिलगुंवा बीट में पेड़ में फांसी लगने से एक वयस्क टाइगर की मौत हो गई स्वस्थ्य शरीर के इस बाघ की क्लच वायर से एक पेड़ से लाश लटकी हुई मिली है। जिससे वन विभाग में हड़कंप मच गया है। जिले उत्तर वन मंडल क्षेत्र के विक्रमपुर में नर्सरी के पास एक पेड़ से टाइगर पेड़ में लटका हुआ मिला है आखिर टाइगर की फांसी लगने से कैसे मौत हुई यह सब लोग देखकर आश्चर्यचकित हैं वन विभाग और पन्ना टाइगर रिजर्व की टीम मौके पर पहुंचकर टाइगर के शव को कब्जे में लेकर आवश्यक औपचारिकताएं पूरी की गई एवं पीएम किया गया। जानकारी के अनुसार कि यह लाश 4 से 5 दिन पुरानी बताई जा रही है हालांकि घटना की सूचना वन विभाग को 6 दिसंबर की शाम मिल गई थी। वन विभाग की टीम रात भर जंगल में सर्चिंग करती रही पर अभी तक कुछ पता नहीं चला इस संदिग्ध बेहद संगीन मामले की वन विभाग जांच करने में लग गया है उत्तर वन मंडल के पन्ना रेंज अंतर्गत विक्रमपुर की तिलगवा बीट फांसी के फंदे से लटका मिला। मौके पर मुख्य वन संरक्षकए छतरपुर की उपस्थिति में घटना स्थल पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरणए नई दिल्ली द्वारा जारी गाइडलाइन अनुसार डॉग स्क्वाड की सहायता से छानबीन एवं एसओपी अनुसार शव परीक्षण एवं अनुसंधान की कार्यवाही की जा रही है। मौके पर टाइगर स्ट्राइक फोर्स शिवपुरी का दल भी घटनास्थल पर उपस्थित होकर शिकार में संलिप्त शिकारियों की छानबीन कर रहा है। डॉग स्क्वाड की सहायता से घटना स्थल की छानबीन करने पर लगभग 2 किण्मीण् दूर कृषक इन्दल सिंह पिता नत्थू सिंहए साकिन विक्रमपुर एवं नेपाल सिंह पिता अर्जुन सिंहए साकिन विक्रमपुर की कृषि भूमि पर शिकार में उपयोग किये गये लकड़ी के खूंटे एवं क्लच वायर जप्त कर संबंधित के विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही की जा रही है। घटना के संबंध में जानकारी देते हुए सीसीएफ छतरपुर संजीव झा ने बताया कि यह प्रारंभिक रूप से शिकार का मामला लग रहा है हम सभी पहलुओं पर जांच कर रहे हैं उन्होंने कहा कि एसटीएफ को यह मामला सौंप रहे हैं जब उनसे पूंछा गया कि कौन से टाइगर की मौंत हुई है यह जांच उपरांत पता चल सकेगा कि यह कौन सा टाइगर था। डॉक्टर संजीव गुप्ता सुबह मौके पर पहुंचे और पूरे पहलुओं की जांच करते हुए उन्होंने पोस्टमार्टम किया और मौत के कारणों को जानने का प्रयास किया आखिर बाघ की मौत कैसे हुई है और शिकार किया गया है तो किस तरह से हुई।
टाइगर रिजर्व से बाहर जाने के बाद मौंत का सिलसिला जारीः. कुछ समय पूर्व सतना जिले में पन्ना जिले के टाइगर हीरा की मौंत भी शिकार हुई थी जिसकी जांच में लीपापोती करते हुए उस मामले में रफा दफा कर दिया। ऐसा ही इस 2 वर्ष के युवा बाघ के साथ हुआ जो पन्ना के ही उत्तर बन मंडल में मारा गया इससे पहले एक बाघ की चित्रकूट में मझगवां में शिकार कर गायब करने की कोशिश की गई थी। वर्ष 2009 में बाघ विहीन होने के बाद बाघ पुनर्स्थापना के बाद लगातार बाघों का कुनबा बढ़ता जा रहा है आज लगभग बाघों की कुल संख्या 75 पहुंच चुकी है।
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