ब्रम्हलीन शारदानंद महाराज को हजारों लोगों ने दी श्रद्धांजलि
अमरकंटक। पवित्र नगरी अमरकंटक में स्थित मृत्युंजय आश्रम में 20 जनवरी शुक्रवार को ब्रम्हलीन शारदानंद सरस्वती जी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पण कार्यक्रम का आयोजन में स्वामी हरिहरानंद सरस्वती महाराज की विशेष उपस्थिति में संपन्न हुआ। श्रद्धांजलि एवं भंडारा कार्यक्रम में कई राज्यों के हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में प्रातः 8 बजे मैनपुरी के श्रद्धालुओं द्वारा सस्वर सुन्दरकांड का पाठ किया गया। तत्पश्चात पूर्वान्ह 10 बजे से ब्रम्हलीन शारदानंद महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। मध्यान्ह 1 बजे देर शाम तक भंडारा प्रसाद का वितरण किया गया। जिसके बाद महाराज जी के द्वारा सभी गरीबों और श्रद्धालुओं को कंबल का वितरण किया गया।
इस दौरान स्वामी हरिहरानंद सरस्वती महाराज ने श्रद्धांजलि कार्यक्रम में उपस्थित हुये साधु-संतो, हजारों श्रद्धालुओं, शिष्यों, गणमान्य जनों को संबोधित करते हुए दैवी संपत मंडल के प्रमुख आचार्य स्वामी हरिहरानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि गुरुजी के आदेशों, उनकी जनकल्याणकारी योजनाओं को पूरा करने के लिये मुझे आपके कंधे, आप सबका साथ चाहिए। वनवासियों, जनजातीय बन्धुओं, पीड़ितों की निःस्वार्थ सेवा ही हमारा ध्येय है। यहां एक वेद विद्यालय खोलने की उनकी मंशा थी, जिस पर कार्य किया जाएगा। स्वामी शारदा नंद महराज को याद कर उन्हे श्रद्धांजलि देते हुए स्वामी हरिहरानंद सरस्वती भावुक होकर बाले की महाराज जी की प्रेरणा है कि भगवत भजन के साथ दीन - हीन, असहायों, गरीब वनवासी बन्धुओं का सहयोग करो। उन्होंने लोगों से कहा कि परिक्रमावासियों की सेवा और बेहतर कैसे कर सकते हैं, यह सुझाव हमें दें। मैं परमपूज्य महाराज जी के चरणों में अपना सब कुछ अर्पित करता हूँ। अब लगता है कि हम आप सब में ,सभी के हृदय में गुरुदेव विराजमान हैं। अबआप सबके हृदय में मुझे परमपूज्य श्री गुरु देव के दर्शन हो रहे हैं।
इससे पूर्व मंचासीन शांति कुटी के स्वामी रामभूषण दास जी महाराज ने स्वामी हरिहरानंद, स्वामी राम राजेश्वरानंद, स्वामी नर्मदानंद, आचार्य अतुल कृष्ण दुबे, वंदे महाराज, नीलू महाराज, बंटी महाराज, नर्मदा मंदिर के समस्त पुजारी गण सहित अन्य हजारों लोगों को संबोधित करते हुए कहे कि जिस जिसने महाराज जी का सान्निध्य प्राप्त किया होगा वो वही कहेगा कि महाराज जी सबसे अधिक प्रेम मुझसे ही करते थे। उनकी कथनी, करनी, उनका व्यवहार हमारे लिये आदेश होता था, वे सूर्य की तरह हमारे पथ प्रदर्शक थे। वे ब्रह्म स्वरुप में, नारायण स्वरुप में हमारे ईश्वर तुल्य रहेगें। वे हजारों वर्षों तक अपने शिष्यों, अपने भक्तों का पोषण ,पालन करते रहेगें। स्वामी नर्मदानंद जी महाराज ने कहा कि स्वामी हरिहरानन्द के रुप में परमपूज्य गुरुजी साक्षात् विराजमान हैं। आप जो आदेश देंगे वह गुरुजी के आदेश के रुप में सब के अनुकरणीय होगा।
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