अनूपपुर। आरसेटी अनूपपुर में बुद्ध पूर्णिमा उत्सव का आयोजन 18 मई को ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान अनूपपुर में किया गया। जिसमें प्रशिक्षणार्थियों को गौतम बुद्ध के सत्य, अंहिसा के सिद्धांतो व उनके जीवन की घटनाओं से सीख लेने हेतु प्रेरित किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्य अतिथि एलडीएम अनूपपुर पी.सी. पांडेय ने दीप प्रज्जवलित कर भगवान बुद्ध के छायाचित्र में पुष्प अर्पित किए तथा अपने संबोधन में जानकारी दी की उत्सव पूरे विश्व में मनाया जाता है तथा इस धर्म के अनुयायियों की संख्या करोडो में है। हम सभी को सत्य, अंहिसा एवं निरंतर कर्म के सिद्धांतो पर चलने का प्रयास करना चाहिए। आयोजन का संचालन करते हुए आरसेटी के नव नियुक्त निदेशक दिलीप कुमार मिश्र ने प्रशिक्षणार्थियो को संबोधित करते हुए एक घटना का उल्लेख किया कि गौतम बुद्ध कर वर्षो की तपस्या के बाद भी ज्ञान प्राप्त न होने पर निराश हो गए थे। एक गिल्हारी को झील में खाली करने के लिए बार-बार उसमें डूबकर निकलती और बाहर आने के बाद पानी को झटकार पुनः झील में डूबती थी। बुद्ध केमन में विचार आया की जब यह छोटा सा जीव हार नही मान रहा तो मुझे भी और प्रयास करना चाहिए। इसके बाद वे पुनः तपस्या में लीन हो गए और उन्हे ज्ञान की प्राप्ति हुई। एफएलसीसी प्रताप सिंह राउतराय ने बुद्ध पूर्णिमाा का आयोजन आरसेटी में करने के कारणो पर प्रकाश डालते हुए बुद्ध के जीवन परिचय को विस्तार दिया एवं प्रशिक्षार्थियों को विचार रखने हेतु आमंत्रित किया। वहीं सत्यम सिंह ने समय-समय पर ऐसे आयोजन करने की सलाह दी जिससे प्रशिक्षाार्थियों की झिझक दूर हो और अपनी बात सबके सामने रख सके। प्रशिक्षणार्थियों की ओर से सविता कुशवाहा सकोला एवं कीर्ति सिंह मैनटोला ने अपना विचार रखते हुए बताया की आश्वस्त किया की वे असफलता की चिंता किए बिना पूरी लगन से प्रशिक्षण प्राप्त करेंगी। आयोजन में प्रशिक्षक महेश केवट, अटेंडर हरिदास राठौर का सहायोग सराहनीय रही।
ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान अनूपपुर में बुद्ध पूर्णिमा का हुआ आयोजन
अनूपपुर। आरसेटी अनूपपुर में बुद्ध पूर्णिमा उत्सव का आयोजन 18 मई को ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान अनूपपुर में किया गया। जिसमें प्रशिक्षणार्थियों को गौतम बुद्ध के सत्य, अंहिसा के सिद्धांतो व उनके जीवन की घटनाओं से सीख लेने हेतु प्रेरित किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्य अतिथि एलडीएम अनूपपुर पी.सी. पांडेय ने दीप प्रज्जवलित कर भगवान बुद्ध के छायाचित्र में पुष्प अर्पित किए तथा अपने संबोधन में जानकारी दी की उत्सव पूरे विश्व में मनाया जाता है तथा इस धर्म के अनुयायियों की संख्या करोडो में है। हम सभी को सत्य, अंहिसा एवं निरंतर कर्म के सिद्धांतो पर चलने का प्रयास करना चाहिए। आयोजन का संचालन करते हुए आरसेटी के नव नियुक्त निदेशक दिलीप कुमार मिश्र ने प्रशिक्षणार्थियो को संबोधित करते हुए एक घटना का उल्लेख किया कि गौतम बुद्ध कर वर्षो की तपस्या के बाद भी ज्ञान प्राप्त न होने पर निराश हो गए थे। एक गिल्हारी को झील में खाली करने के लिए बार-बार उसमें डूबकर निकलती और बाहर आने के बाद पानी को झटकार पुनः झील में डूबती थी। बुद्ध केमन में विचार आया की जब यह छोटा सा जीव हार नही मान रहा तो मुझे भी और प्रयास करना चाहिए। इसके बाद वे पुनः तपस्या में लीन हो गए और उन्हे ज्ञान की प्राप्ति हुई। एफएलसीसी प्रताप सिंह राउतराय ने बुद्ध पूर्णिमाा का आयोजन आरसेटी में करने के कारणो पर प्रकाश डालते हुए बुद्ध के जीवन परिचय को विस्तार दिया एवं प्रशिक्षार्थियों को विचार रखने हेतु आमंत्रित किया। वहीं सत्यम सिंह ने समय-समय पर ऐसे आयोजन करने की सलाह दी जिससे प्रशिक्षाार्थियों की झिझक दूर हो और अपनी बात सबके सामने रख सके। प्रशिक्षणार्थियों की ओर से सविता कुशवाहा सकोला एवं कीर्ति सिंह मैनटोला ने अपना विचार रखते हुए बताया की आश्वस्त किया की वे असफलता की चिंता किए बिना पूरी लगन से प्रशिक्षण प्राप्त करेंगी। आयोजन में प्रशिक्षक महेश केवट, अटेंडर हरिदास राठौर का सहायोग सराहनीय रही।

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