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नियम-कानून से नही अपनी अंतर आत्मा से की नियुक्ति - जिपं. सीईओ सरोधन सिंह

सोमवार, 23 सितंबर 2019

/ by News Anuppur

मामला नपा अनूपपुर के वार्ड क्रमांक 7 में आंगनबाडी कार्यकर्ता की नियुक्ति का
अनूपपुर। अनूपपुर जिले में जहां प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा किसी हद तक भ्रष्ट है, इस बात की पुष्टि तो वहां हो जाती है जहां किसी की भी नियुक्ति नियम कानून से नही बल्कि मानवीय संदेवना से कर दिए जा
ने की बात कही जाती है। एैसा ही एक मामला तब सामने आया जब  नगर पालिका अनूपपुर के वार्ड क्रमांक 7 में निकली आंगनबाडी कार्यकर्ता की भर्ती के लिए जिला स्तरीय निराकरण समिति की बैठक 23 सितम्बर में अपात्र की नियुक्ति कर दिए जाने तथा पूरे मामले में जिला पंचायत अध्यक्ष सरोधन सिंह ने इस नियुक्ति को अपनी अंतर आत्मा से किए जाने तथा किसी भी नियम कानून नही बल्कि मानवीय संवेदनाओं के आधार पर किए जाने का बयान दिया है। जबकि इस पूरे मामले में तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ (आईएएस) सलोनी सिड़ाना द्वारा आदेश क्रमांक/2615/स्था./मबवि/2018-19 में पहले ही अपात्र घोषित करते हुए अमान्य कर दिया था।
यह है मामला
महिला बाल विकास विभाग द्वारा अगस्त 2018 में नपा अनूपपुर के वार्ड क्रमांक 7 में आंगनबाडी कार्यकर्ता की भर्ती निकाली गई, जिसकी अनंनतिम सूचि 25 सितम्बर 2018 को प्रकाशित किया गया, जिसमें पहले स्थान पर पूजा सोनी पिता गणेश सोनी, दूसरे स्थान पर स्वेता दुबे पति विनीत दुबे एवं तीसरे स्थान पर माला नाई पिता मनीलाल नाई का चयन किया कर दावा आपत्ति बुलाई गई। जहां पर आवेदको ने अपनी दावा आपत्ति पेश की, जिस पर 25 जनवरी 2019 तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ (आईएएस) सलोनी सिडाना ने जिला स्तरीय समिति में निराकरण के दौरान पूजा सोनी का बीपीएल कार्ड सत्यापन कराए जाने का निर्णय लिया गया तथा तीसरे स्थान पर रही माला नाई की आपत्ति के समय बीपीएल कार्ड प्रस्तुत करने पर समिति द्वारा उसकी आपत्ति को अमान्य करते हुए आदेश जारी किया था।
यहां से लिखी गई भ्रष्टचारो की कलम
पूरे मामले में जहां जिला पंचायत अनूपपुर की तत्कालीन सीईओ सलोनी सिड़ाना के आदेशो को वर्तमान जिला पंचायत सीईओ सरोधन सिंह ने नकारते हुए जिले में नई तरह के भ्रष्ट प्रशासन को जन्म दे दिया है। इस भ्रष्टाचार में जिला प्रशासन ने नई इबारत लिखी। जिसमें तत्कालीन सीईओ जिला पंचायत द्वारा जिसे अपात्र घोषित करने का आदेश समिति के सहमति से जारी किया था, उसे ही वर्तमान जिला पंचायत सीईओ सरोधन सिंह ने नगर के वार्ड क्रमांक 7 की आंगनबाडी कार्यकर्ता की नियुक्ति 23 सितम्बर को समिति की बैठक में कर दिए।
आवेदन के समय नही लगाए थे पूर्ण दस्तावेज
पूरे मामले में जहां वार्ड क्रमांक 7 की आंगनबाडी की रिक्त पद की पूर्ति के लिए आवेदिका माला नाई ने आवेदन के समय जहां बीपीएल कार्ड की जगह पात्रता पर्ची संलग्न किया था और तीसरे स्थान पर नाम आने पर उसने आपत्ति करते हुए पात्रता पर्ची को बीपीएल का प्रमाण पत्र माने जाने की बात कही, लेकिन तत्कालीन सीईओ जिला पंचायत ने उसकी आपत्ति निरस्त करते हुए उसे अमान्य कर दिया और उनके स्थानंातरण के बाद जिला पंचायत सीईओ सरोधन सिंह ने पूर्व के आदेशो को दर किनार करते हुए पात्रता पर्ची को बीपीएल कार्ड मान लिया। जबकि आवेदिका स्वेता दुबे ने खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग अनूपपुर में पत्र के माध्यम से तीन बिन्दुओं पर पात्रता पर्ची के उपयोग के संबंध में जानकारी चाही गई। जिस पर विभाग ने पात्रता पर्ची को बीपीएल कार्ड एवं बीपीएल के प्रमाण पत्र के रूप में उपयोग नही किए जाने, पात्रता पर्ची का उपयोग सिर्फ राशन लिए जाने तथा पात्रता पर्ची का उपयोग किसी भी प्रयोजन में नही किए जाने का पत्र दिया। बावजूद इसके जिला पंचायत सीईओ सरोधन सिंह ने तत्तकालीन जिला पंचायत सीईओ (आईएएस) सलोनी सिड़ाना के आदेश एवं अन्य दस्तावेजो को दरकिनार कर दिया।
नियम कानून नही मानवीय संवेदनाओं पर की नियुक्ति
जिला पंचायत सीईओ सरोधन सिंह ने पत्रकार को दिए गए एक बयान से की काफी चर्चा हो रही है, जिसमें 23 सितम्बर को जिला स्तरीय समिति की बैठक के बाद जब अपात्र का चयन करते हुए उसकी नियुक्ति कर दी तो आपत्तिकर्ता ने उससे संपूर्ण दस्तावेज उन्हे पेश कर चयन प्रक्रिया पर सवाल खडे करते हुए समस्त दस्तावेज दिखाए जिसके बाद पत्रकारो ने भी उनसे इस संबंध में सवाल किए जाने पर जिला पंचायत सीईओ सरोधन सिंह का एक बयान की मैने किसी नियम और कानून को नही मानता बल्कि अपनी अंतर आत्मा की आवाज तथा मानवीय संवेदनाओं से नियुक्ति की है।





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