नई दिल्ली। देश में जारी कोरोना लाॅकडाउन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लोगो से वीडियों काॅन्फ्रेंसिंग के जरिये बात की, प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान कहा कि कोरोना से जुड़ी सही और सटीक जानकारी के लिए सरकार ने वाॅट्सएप् के साथ मिलकर एक हेल्पडेस्क भी बनाई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि महाभारत 18 दिनों में जीता गया था, कोरोना वायरस युद्व जीतने में 21 दिन लगेंगे। आज कोरोना के खिलाफ जो युद्व पूरा देष लड़ रहा है, उसमें 21 दिन लगने वाले है, अगर प्रयास है इसे 21 दिन में जीत लिया जाए। उन्होने कहा कि ऐसे में जब देष के सामने इतना बड़ा संकट हो, पूरे विष्व के सामने इतनी बड़ी चुनौती हो तब मुश्किलें नही आएंगी, सब कुछ अच्छा होगा यह कहना अपने साथ धोखा करने जैसा होगा। संकट की इस घड़ी में कशी सबका मार्गदर्शन कर सकती है, सबके लिए उदाहरण प्रस्तुत कर सकती है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा की आप ध्यान रखिए कि कोरोना से संक्रमित दुनिया में 1 लाख सो अधिक लोग ठीक भी हो चुके है और भारत में भी दर्जनो लोग कोरोना के शिकंजे से बाहर निकले है। कल तो एक खबर में देखा रहा था कि इटली में 90 वर्ष से ज्यादा आयु की माताजी भी स्वास्थ्य हुई है। लेकिन हाॅ, नागरिक के रूप में हमें अपने कर्तव्य करते रहना चाहिए, हमें सोषल डिस्टेंसिंग पर ध्यान देना चाहिए। हमें घर में रहना चाहिए और आपस में दूरी बनाए रखना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना जैसी महामारी से दूर रहने का अभी यही एकमात्र उपाया है, आपने देखा होगा, बीते कुछ वर्षो में एक परंपरा शुरू हुई है कि एयरपोर्ट पर जब लोग फौज के जवानों को देखते है तो उनके सम्मान में खड़े हो जाते है, कुछ लोग तालियां बजाते है, ये आभार प्रकट करने का तरीका हमारे संस्कारो में दिनो दिन बढ़ना ही चाहिए।
समाज में ये संस्कार दिनो-दिन प्रबल हो रहा है कि जो देष की सेवा करते है, जो देष के लिए खुद को खपाते है, उनका सार्वजनिक सम्मान भी होते रहना चाहिए। उन्होने कहा की जो तकलीफें आज हम उठा रहे है, जो मुष्किल आज हो रही है, उसकी उम्र फिलहाल 21 दिन ही है, लेकिन अगर कोरोना का संकट समाप्त नही हुआ, फैलना नही रूका तो कितना ज्यादा नुकसान हो सकता है, इसका अंदाजा नही लगाया जा सकता है। ऐसे में जब देष के सामने इतना बड़ा संकट हो, पूरे विश्व के सामने इतनी बड़ी चुनौती हो तब मुष्किले नही आएंगी, सब कुछ अच्छा होगा, ये कहना अपने साथ धोखा करने जैसा होगा।
उन्होने कहा कि आज सोचिए, अस्पतालों में लोग 18-18 घंटे काम कर रहे है, कई जगह अस्पतालों में, हेल्थ सेक्टर से जुड़े लोगों को 2-3 घंटे से ज्यादा सोने को नही मिल रहा। कितने ही सिविल सोसायटी के लोग है जो गरीबों की मदद के लिए दिन-रात एक किए हुए है।