नई दिल्ली। देश में लाॅकडाउन के बीच आज सुप्रीम कोर्ट ने उन हजारों प्रवासी मजदूरों के लिए राहत की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई की, जो कोरोना वायरस को लेकर लाॅकडाउन के बीच शहरों को छोड़कर अपने घर जा रहे है। सुप्रिम कोर्ट ने वकील अलख श्रीवास्तव द्वारा दायर याचिका पर वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की।
सुनवाई के दौरान साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि भारत के संघ और सभी राज्य सरकार स्थिति को कम करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रहे है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को प्रस्तुत किया कि वह वकील आलोक श्रीवास्तव द्वारा दायर याचिका का जवाब देते हुए एक हलफनामा दायर करना चाहते है।
सीजेआई बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता वकील अलख आलोक श्रीवास्तव से कहा कि हम सब कुछ से निपट लेंगे, लेकिन केंद्र जो कर रहा है, उससे नही। सीजेआई ने कहा कि पहले हम सरकार की ओर से उस हलफनामे को देखना चाहते है, जिसे दाखिल करना है, फिर हम इस पर बुधवार को सुनवाई कर सकते है।
याचिका में क्या मांगा गया?
सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर दिशा - निर्देश जारी करने की मांग की गई है। याचिका में इन लोगों को भोजन और मेडिकल सुविधा दिए जाने के साथ ही इन्हे सरकारी इमारतों में आश्रय देने की भी मांग की गई। सुप्रीम कोर्ट में वकील आलोक श्रीवास्तव द्वारा दायर याचिका में मांग की गई है कि हजारों प्रवासी श्रमिक परिवरों-महिलाओं, छोटे बच्चो, बड़ों और अलग-अलग तरह के लोगों के हृदय में भयावह और अमानवीय दुर्दशा का निवारण करे। कोरोना वायरस संकट के बीच ये लोग सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर शहरों से अपने गांवो तक बिना भोजन, पानी, गाड़ी चिकित्सा के पहुंच रहे है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते पूरे देश में लाॅकडाउन की घोषणा की थी। इसके बाद बेरोजगारी और जीवन निर्वाह के लिए पैसों की कमी के कारण हजारों प्रवासी मजदूर शहरों को छोड़कर पैदल ही अपने-अपने गांवो की ओर निकले थे, क्योकि लाॅकडाउन के कारण सभी परिवहन सेवाएं रूकी हुई थी।
इसके बाद सामने आई स्थितियों को देखते हुए कई राज्य सरकारों ने अपने मूल कस्बों और गांवो तक बसें चलाने की व्यवस्था की। हालांकि, इस बीच सरकारों की ये भी चिंताएं है कि ये सभी पलायन कर रहे प्रवासी मजदूर अपने गांवो तक कोरोना का संक्रमण फैला सकते है।
इस बीच गृह मंत्रालय ने रविवार को राज्य सरकारों को अपनी सीमाओं को सील करने और लाॅकडान को सख्ती से लागू करने का आदेष दिया है। केंद्र ने प्रवासी मजदूरों सहित फंसे हुए लोगों को भोजन और आश्रय देने के लिए भी कहा है। साथ ही उन्हें उन लोंगो को भी क्लारंटाइन में रखने को कहा गया है जो पहले से ही अपने गांव के लिए रवाना हो चुके है।
सुनवाई के दौरान साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि भारत के संघ और सभी राज्य सरकार स्थिति को कम करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रहे है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को प्रस्तुत किया कि वह वकील आलोक श्रीवास्तव द्वारा दायर याचिका का जवाब देते हुए एक हलफनामा दायर करना चाहते है।
सीजेआई बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता वकील अलख आलोक श्रीवास्तव से कहा कि हम सब कुछ से निपट लेंगे, लेकिन केंद्र जो कर रहा है, उससे नही। सीजेआई ने कहा कि पहले हम सरकार की ओर से उस हलफनामे को देखना चाहते है, जिसे दाखिल करना है, फिर हम इस पर बुधवार को सुनवाई कर सकते है।
याचिका में क्या मांगा गया?
सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर दिशा - निर्देश जारी करने की मांग की गई है। याचिका में इन लोगों को भोजन और मेडिकल सुविधा दिए जाने के साथ ही इन्हे सरकारी इमारतों में आश्रय देने की भी मांग की गई। सुप्रीम कोर्ट में वकील आलोक श्रीवास्तव द्वारा दायर याचिका में मांग की गई है कि हजारों प्रवासी श्रमिक परिवरों-महिलाओं, छोटे बच्चो, बड़ों और अलग-अलग तरह के लोगों के हृदय में भयावह और अमानवीय दुर्दशा का निवारण करे। कोरोना वायरस संकट के बीच ये लोग सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर शहरों से अपने गांवो तक बिना भोजन, पानी, गाड़ी चिकित्सा के पहुंच रहे है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते पूरे देश में लाॅकडाउन की घोषणा की थी। इसके बाद बेरोजगारी और जीवन निर्वाह के लिए पैसों की कमी के कारण हजारों प्रवासी मजदूर शहरों को छोड़कर पैदल ही अपने-अपने गांवो की ओर निकले थे, क्योकि लाॅकडाउन के कारण सभी परिवहन सेवाएं रूकी हुई थी।
इसके बाद सामने आई स्थितियों को देखते हुए कई राज्य सरकारों ने अपने मूल कस्बों और गांवो तक बसें चलाने की व्यवस्था की। हालांकि, इस बीच सरकारों की ये भी चिंताएं है कि ये सभी पलायन कर रहे प्रवासी मजदूर अपने गांवो तक कोरोना का संक्रमण फैला सकते है।
इस बीच गृह मंत्रालय ने रविवार को राज्य सरकारों को अपनी सीमाओं को सील करने और लाॅकडान को सख्ती से लागू करने का आदेष दिया है। केंद्र ने प्रवासी मजदूरों सहित फंसे हुए लोगों को भोजन और आश्रय देने के लिए भी कहा है। साथ ही उन्हें उन लोंगो को भी क्लारंटाइन में रखने को कहा गया है जो पहले से ही अपने गांव के लिए रवाना हो चुके है।