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अमरकंटक विश्वविद्यालय में पीएचडी भर्ती घोटाला, शिक्षा के नाम पर प्रोफेसर त्रिपाठी की भूमिका संदिग्ध

अमरकंटक विश्वविद्यालय में पीएचडी भर्ती घोटाला, शिक्षा के नाम पर प्रोफेसर त्रिपाठी की भूमिका संदिग्ध

गुरुवार, 14 मई 2020

/ by News Anuppur

बिना स्नातक किए हुए छात्रा को पीएचडी में दिया गया प्रवेश,  दूसरे विश्वविद्यालय से कर रही स्नातक

इंटो- इंदिरागांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक में शिक्षा के नाम पर खिलवाड़ का क्रम जारी है, जहां दूसरे छात्रों के साथ धोखा करते हुए लगातार स्नातक में फेल होने तथा छत्तीसगढ़ यूनिर्वसिटी में स्नातक कर रही छात्रा को अमरकंटक विश्वविद्यालय में बिना मूल स्थानांतरण प्रमाण पत्र के पीएचडी में प्रवेश देने के साथ ही फर्जी तरीके से छात्रवृत्ति दिलवाने तथ विदेश भेजने के साथ ही अखिल भारतीय स्तर की प्रवेश परीक्षा में अव्वल स्थान दिलाने के लिए गोवा ले जाने वाले प्रोफेसर द्वारा अपने पदीय दायित्वों का दुरूपयोग करते हुए अन्य छात्रों से धोखाधड़ी की गई। जबकि उक्त छात्रा अमरकंटक विश्वविद्यालय से पीएचडी तो छत्तीसगढ़ यूनर्वसिटी से स्नातक की रेग्यूलर पढ़ाई कर रही है। इतना ही नही अमरकंटक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पर पीएचडी भर्ती परीक्षा में प्रश्न पत्र एवं उत्तर पुस्तिकाओं मे हेरा फेरी किए जाने के आरोप भी लगे है।

अनूपपुर। गुरू घासीदास विश्वविद्यालय से बर्खास्त होकर अमरकंटक विश्वविद्यालय आए प्रोफेसर भूमिनाथ त्रिपाठी अब पीएचडी छात्रा के शोध को लेकर चर्चाओं में है। जहां मामले की शिकायत लगातार जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन को प्रमाणित दस्तावेज उपलब्ध कराते हुए निष्पक्ष कार्यवाही की मांग की गई है। जिसमें अकादमिक सत्र 2017 में बिना स्नातक परीक्षा पास किए हुए छात्रा विजेतना सिंह को प्रोफेसर ने बाॅयोटेक्नोलाॅजी की प्रवेष परीक्षा दिलाने अपने साथ गोवा ले गए, जहां प्रवेश परीक्षा में छात्रा पूरे भारत में प्रथम स्थान प्राप्त की, लेकिन सबसे बडी बात यह रही कि बाॅयोटेक्नोलाॅजी विषय के पीएचडी प्रवेश परीक्षा में अव्वल आने वाली छात्रा अपने पूरे अकादमिक केरियर में कभी भी बाॅयोटेक्नोलाॅजी विषय पढ़ी ही नही, उल्टे स्नातक में ही लगभग 8 से 10 बार फेल होकर आज भी स्नातक की परीक्षा छत्तीसगढ़ के स्वामी विवेकानंद यूनवर्सिटी से दे रही है।

प्रोफेसर ने अपने पदीय दायित्वो का किया दुरूपयोग 

अमरकंटक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर भूमिनाथ त्रिपाठी ने छात्रा अपने पद का दुरूपयोग करते हुए छात्रा को पीएचडी में प्रवेश दिलाने के साथ ही बिना मूल स्थानांतरण प्रमाण पत्र के पीएचडी बाॅयोटेक्नोलाॅजी की छात्रवृत्ति भी दिलवाए जाने का आरोप है। जबकि अभी तक छात्रा विजेतना सिंह का नामाकंन एवं प्रवेश बेचलर ऑफ इंजीनियरिंग (बीई) इलेक्ट्रिकल के रूप में क्रिश्चन काॅलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाॅजी, कैलाश नगर में वैद्य है। एक तरफ रेग्युलर छात्रा पिछले सात -आठ वर्ष से लगातार फेल होते हुए आज वर्ष 2020 में भी स्नातक की परीक्षा दे रही है। वहीं दूसरी तरफ प्रोफेसर भूमिनाथ त्रिपाठी ने इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय में पीएचडी बाॅयोटेक्नोलाॅजी में प्रवेश देकर रेग्युलर छात्रा की नामाकंन वैद्य करवा दिया गया है। जानकारी के अनुसार उक्त छात्रा का वर्तमान समय दो विश्वविद्यालय में नामाकंन वैद्य है, जिसमें पहला रेग्युलर छात्रा के रूप में क्रिश्चयन काॅलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाॅजी, कैलाश नगर में नामाकंन क्रमांक 3112410304 तथा दूसरा इंदिरा गांधी जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक में रेग्युलर छात्रा के रूप में नामाकंन रजिस्ट्रेशन क्रमांक 17163004 के तहत पीएचडी बाॅयोटेक्नोलाॅजी में वैद्य है।

और भी है कई कारनामें

एक ही समय में दो अलग-अलग विश्वविद्यालय में रेग्युलर छात्रा के रूप में प्रवेश होना आपने आप में ही फर्जीवाड़ा को उजागर कर रहा है। इतना ही नही प्रोफेसर भूमिनाथ ने छात्रा को पीएचडी बाॅयोटेक्नोलाॅजी के कोर्स वर्क की तीन अलग-अलग विषयों में उर्तीण भी करवा दिया गया, जबकि छात्रा वर्ष 2020 में ही स्नातक की परीक्षा दे रही है। इसके साथ ही शासकीय राशि पर छात्रा को चाइना तथा कोरिया अपने साथ ले जाने, वर्ष 2017 से बाॅयोटेक्नोलाॅजी विभाग के विभागीय शोध समिति से अनेक बार अनुशंसा कर पीएचडी को अनुमोदन दिया गया। वहीं वर्ष 2020 में भी विष्वविद्यालय प्रशासन ने भी शोध उपाधि समिति के बैठक में अनुमोदन दिया है तथा उस छात्रा का शोध शीर्षक 'Optimçation of freshwater algae for ffeicient production of bioenergy'  का अनुमोदन कर दिया गया है।

विश्वविद्यालय प्रशासन भी कटघरे में 

प्रोफेसर भूमिनाथ त्रिपाठी द्वारा अपने पदीय दायित्वो के गलत निर्वहन किए जाने के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हे कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों से नवाजा गया है, जिसमें विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता के साथ-साथ छात्र कल्याण संकाय का अधिष्ठाता बना दिया है। जिसके बाद से कोई भी छात्र प्रोफेसर से कल्याण की उम्मीद ही नही कर सकने का आरोप है। हाल ही में विश्वविद्यालय केन्द्रीय खरीदी समिति का अध्यक्ष पद भी दिया गया है। वहीं प्रोफेसर पर लगे आरोप पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने चुप्पी साधी हुई है। जहां आरोप पर विश्वविद्यालय न तो छात्रा के बाॅयोटेक्नोलाॅजी विषय में पीएचडी की प्रवेश परीक्षा हेतु भरा गया फाॅर्म, वर्ष 2017 में बायोटेक्नोलाजी विषय में पीएचडी की प्रवेश परीक्षा हेतु परीक्षा केंद्र गोवा में कुल विषयवार सम्मिलित होने वाले छात्र की सूची, बाॅयोटेक्नोलाॅजी विषय में पीएचडी प्रवेश परीक्षा हेतु परीक्षा केंद्र गोवा जाने वाले अध्यापक एवं गोवा में प्रवेश परीक्षा आयोजित करवाने से संबंधित समस्त दस्तावेज, वर्ष 2017 में बाॅयोटेक्नोलाजी विषय में पीएचडी प्रवेश परीक्षा के पश्चात परीक्षा परिणाम की जानकारी एवं संबंधित समस्त दस्तावेज, बाॅयोटेक्नोलाॅजी विषय में पीएचडी में प्रवेश लेने के लिए उक्त छात्रा का नामांकन रजिस्ट्रेशन नंबर 17163004 द्वारा जमा किए गए मूल स्थानांतरण प्रमाणपत्र एवं स्नातक एवं स्नाकोत्तर परीक्षा के अंतिम अंकसूची तथा स्नातक एवं स्नाकोत्तर की डिग्री, पीएचडी में प्रवेश लेने वाली उक्त छात्रा का विभागीय शोध समिति (डीआरसी) द्वारा किए गए शोध के प्राग्रेस रिपोर्ट का अनुमोदन, शोध-निदेशन में रेग्युलर छात्रा के रूप में नामांकित छात्रा द्वारा कब - कब विदेश जाने के किए गए समस्त आवेदनों के साथ ही विदेश कब गई जैसे कई मुद्दे पर विश्वविद्यालय प्रशासन स्वयं जांच करने से बचते आ रहा है। जिसके कारण इस पूरे मामले में विश्वविद्यालय  प्रशासन पर ही प्रश्नचिन्ह का ग्रहण लग गया है।

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