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सांई राम रियलटेक कंपनी के मालिक एवं डायरेक्टर की जमानत याचिका खारिज

सांई राम रियलटेक कंपनी के मालिक एवं डायरेक्टर की जमानत याचिका खारिज

गुरुवार, 14 मई 2020

/ by News Anuppur
फर्जी कंपनी बनाकर अनूपपुर से 41 लाख 95 हजार 90 रूपयें का किए थे गबन
अनूपपुर। जिला एवं सत्र न्यायाधीश डाॅ. सुभाष कुमार जैन के न्यायालय में विचाराधीन विशेष प्रकरण क्रमांक 03/19 थाना अनूपपुर के अपराध प्रकरण क्रमांक 98/16 धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी एवं म.प्र. निक्षेपकों के हितों की संरक्षण अधिनियम 2000 की धारा 6 (1) के आरोपी एवं चिट फंड कंपनी सांई राम रियलटेक कंपनी के मालिक/डायरेक्टर विनय सक्सेना की जमानत याचिका खारिज कर दी गई। राज्य की ओर से पैरवी जिला अभियोजन अधिकारी एवं विषेष लोक अभियोजक रामनरेष गिरि द्वारा की गई।

मामले की जानकारी के अनुसार आरोपी विनय सक्सेना द्वारा अन्य सह अभियुक्त के साथ मिलकर स्वयं को सांई राम रियलटेक कंपनी नोएडा का डायरेक्टर बताते हुए अनूपपुर क्षेत्र के ग्रामीणों को दोगुने एवं तिगुने ब्याज का लालच देकर कपटपूर्ण व बेईमानी करते हुए उनसे लाखों रूपयें की राशि हड़प ली और उन्हे नकली पाॅलीसी बाॅन्ड, रिकार्ड बुक, भुगतान की रसीदें आदि फर्जी दस्तावेज दिए गए तथा बाद में कंपनी बंद कर फरार हो गया। पुलिस अधीक्षक अनूपपुर के मार्गदर्शन में कोतवाली निरीक्षक प्रफुल्ल राय के नेतृत्व में उप निरीक्षक अभयराज सिंह द्वारा आरोपी की पतासाजी एवं साक्ष्यों का संकलन करते हुए उसे थाना सिकंदराबाद जिला आगरा के अपराध क्रमांक 1274/17 धारा 420, 406, 120बी, 34 एवं 66 डी आईटी एक्ट व 3, 4, 5, 6 चिट फंड एवं धन परिचालन स्कीम पाबंदी अधिनियम के अपराध में आगरा उ.प्र. जेल में निरूद्ध होना पाया गया। आरोपी द्वारा न्यायालय को पूर्व में अग्रिम जमानत का आवेदन दिया गया था, जिसमें उसके द्वारा गलत पतों एवं तथ्यों का सहारा लेकर पुलिस एवं न्यायालय को गुमराह किया गया। विनय सक्सेना द्वारा अनूपपुर क्षेत्र से 41 लाख 95 हजार 90 रूपयें की राशि का निवेश अपनी कंपनी में कराकर कंपनी बंद कर दी गई तथा बाद में पुलिस को गुमराह करते हुए एक और कंपनी पेवे आईटी साॅल्यूशन कंपनी गाजियाबाद गुरूग्राम एवं आगरा में खोलकर पुनः ऐसे गंभीर अपराध को कारित किया गया।

जहां आरोपी द्वारा न्यायालय में 5 न्यायदृष्टांतो का सहारा लेते हुए जमानत की मांग की गई थी लेकिन जिला अभियोजन अधिकारी रामनरेश गिरी द्वारा उक्त न्याय दृष्टांतों के कटाक्ष में मात्र 1 न्याय दृष्टांत प्रस्तुत किया गया था, जिससे पूर्ण रूप से सहमत होकर न्यायालय ने आरोपी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया।

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