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Radha-Krishna adorned with jewelery from a billion: ग्वालियर में एक अरब के गहनों से हुआ राधा-कृष्ण का श्रृंगार

GWALIOR में एक अरब के गहनों से हुआ राधा-कृष्ण का श्रृंगार

सोमवार, 30 अगस्त 2021

/ by News Anuppur


पुलिस सुरक्षा के बीच पंडितों ने किया भगवान राधा-कृष्ण का श्रृंगार

ग्वालियर। भगवान श्री कृष्ण की लीलास्थली गोपाचल पर्वत की तलहटी में बसे ऐतिहासिक ग्वालियर शहर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (shri krishna janmashtami) का उत्सव शुरू हो गया है। 30 अगस्त की दोपहर सिंधिया रियासतकालीन गोपाल मंदिर में बिराजे राधा-कृष्ण (Radha-Krishna) को एक अरब के गहनों (jewelery) से सजाया गया। अब ग्वालियर में भगवान श्रीकृष्ण (Shri Krishna) 24 घंटे तक इसी वेश-भूषा में भक्तों को दर्शन देंगे। भगवान श्रीकृष्ण को पहनाए गए एक अरब (One billion)के गहनों को बैंक लॉकर से सुरक्षा के साथ मंदिर तक लाया गया। जिसके बाद पुलिस सुरक्षा के बीच पंडितो व कर्मचारियों ने बक्से से गहने निकालकर भगवान राधा-कृष्ण (Radha-Krishna) का श्रृंगार किया और उसके बाद महाआरती हुई।

फूलबाग स्थित एक सदी पुराने सिंधिया रियासतकालीन गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी (janmashtami) की धूम रही। मंदिर में भगवान राधा-कृष्ण (Radha-Krishna) की अदभुत प्रतिमाएं हैं। जिन गहनों से भगवान को सजाया गया है, वे ये रियासत कालीन जेवर हैं। साल में सिर्फ  जन्माष्टमी पर इन जेवरातों को पहनाकर राधा-कृष्ण (Radha-Krishna) का श्रंगार किया जाता है।

गोपाल मंदिर की स्थापना वर्ष 1921 में ग्वालियर रियासत के तत्कालीन शासक माधवराव प्रथम ने करवाई थी। सिंधिया राजाओं ने भगवान राधा-कृष्ण (Radha-Krishna) की पूजा के लिए चांदी के बर्तन बनवाए थे। भगवान के श्रंगार के लिए रत्न जडि़त सोने के आभूषण भी बनवाए गए थेए, इनमें राधा कृष्ण (Radha-Krishna) के लिए 55 पन्नों और सात लड़ी का हार, सोने की बांसुरी, सोने की नथ, जंजीर और चांदी के पूजा के बर्तन शामिल हैं। आजादी के बाद से ये गहने बैंक के लॉकर में रहते हैं। वर्ष 2007 के बाद से नगर निगम इन जेवरातों को साल में एक बार जन्माष्टमी के दिन बैंक से निकालता है। भारी सुरक्षा के साथ गहने बैंक से गोपाल मंदिर लाए गएए, यहां प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में राधा-कृष्ण (Radha-Krishna) का श्रृंगार किया गया। इसके बाद महाआरती हुई। कोविड के चलते मंदिर में भक्तों का दर्शन प्रतिबंधित है। कोरोना महामारी के कारण इस साल भक्तों को गोपाल मंदिर में प्रवेश नहीं दिया गया है। मंदिर के बाहर एलईडी टीवी लगाई गई, जिससे श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किए।

इन आभूषणों से किया है श्रृंगार

राधा-कृष्ण का श्रृंगार एक अरब (One billion) रूपए के जेवरात (jewelery) से किया गया। इनमें सफेद मोती वाला पंचगढी हार जिसकी कीमत वर्ष 2007 में आठ लाख रपये आंकी गई थी। सात लड़ी हार, जिसमें 62 असली मोती और 55 पन्ने जड़े हुए हैं। कीमत लगभग 20 से 25 लाख, सोने के तोड़े, सोने का मुकुट कीमत 80 लाख, राधाजी के ऐतिहासिक मुकुट में पुखराज और माणिक जणित पंख हैं, बीच में पन्ना लगा है। तीन किलो कीमत के मुकुट की कीमत 2007 में पांच करोड रुपये आंकी गई थी। 16 ग्राम पन्ने की कीमत 25 लाख रुपये है। राधा-कृष्ण के नकसिक श्रृंगार के लिए 25 लाख रुपये के जेवरात हैं, जिसमें श्रीजी तथा राधा के झुमके, सोने की नथए, कंठी, चूडिय़ा, कड़े इत्यादि शामिल हैं।

80 लाख के बर्तनों में लगाया गया भोग

भगवान के भोजन आदि के लिए प्राचीन बर्तनों की सफाई कर भगवान का भोग लगाया गया। इनकी कीमत 80 लाख रुपये है। इनमें भगवान की समई, इत्रदान, पिचकारी, धूपदान, चलनी, सांकडी, छत्र, मुकुट, गिलास, कटोरी, कुंभकरिणी, निरंजनी आदि सामग्री हैं।

जन्माष्टमी के बाद बैंक लॉकर में होगें जमा

गोपाल मंदिर में भगवान का श्रृंगार सिर्फ  श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (krishna janmashtami) के दिन ही किया जाता है। इसके बाद इन सभी जेवरातों को पुलिस सुरक्षा के बीच बैंक के लॉकर में सुरक्षित रखवा दिया जाता है।

 

 

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