फिर से जहर का दरिया बना दी गई सांवेर की कान्ह नदी
इंदौर। सांवेर में कान्ह नदी एक बार फिर जहरीली हो गई है, इसके कारण सतह पर मरी हुई मछलियां तैरती नजर आने के साथ पानी से दुर्गंध भी आ रही है। नदी का पानी गहरा लाल और काला दिखाई दे रहा है, लगता है कि नदी में खतरनाक रासायनिक द्रव बहाने का कुचक्र फिर से शुरू कर दिया गया है और जिम्मेदार या तो बेखबर है या फिर अनजान बने हुए हैं। गौरतलब है कि यह क्षेत्र जलसंसाधन एवं मत्स्य कल्याण मंत्री तुलसी सिलावट का है।
नगर में खान नदी के पुल के पास हार्डवेयर की दुकान संचालक जगदीश मंडलिया को नदी से दुर्गंध तो कुछ दिनों से आ रही थी और अब उन्होंने देखा कि नदी सतह पर कई मछलियां मरी हुई नजर आ रही है। वार्ड नंबर 5 के कय्यूम जमादार ने खान नदी की हालत पर चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि खान नदी के पानी में सैंकड़ों मछलियां मरी हुई नजर आ रही है. इसी कारण 3-4 दिन से नदी की ओर से जबरदस्त बदबू आ रही है। मीना मस्जिद से लेकर माणक चैक तक के नदी किनारे के लोगों का सिर चकराने लगा है। ये शिकायत केवल इन दो लोगों की ही नहीं है बल्कि नदी के पास से गुजरने वाले हर शख्स की जुबान पर आ रही है. सांवेर के युवा किसान प्रवीणराव जाधव कालू ने बताया कि इस पानी से जिन खेतों में सिंचाई की गई उनकी मिट्टी लाल पड़ गई है और फसल भी खराब होने लगी है. लोग यह भी बता रहे हैं कि पानी में मछलियाँ दिखाई देना बंद हो गई है और हकीकत में नदी की सतह पर मरी हुई मछलियां नजर भी आ रही है। गौर करने वाली बात ये भी है कि बीते तीन-चार सालों से इन्हीं दिनों में कान्ह नदी का यह कुरूप देखने को मिलता है। कान्ह का ये पानी कायस्थखेड़ी में स्टापडेम की वजह से घूमकर कटकिया में चला जाता है, जिससे कटकिया में भी कान्ह का ही पानी फैला जाता है। पिछले सालों में भी जहरीला पानी कटकिया नदी में पहुंचने से हजारों मछलियां के मरने की तस्वीरें सामने आई थी और इस साल फिर वही मंजर नजर आने लगा है।
जहरीला रसायन बहाते पकड़ा जा चुका है टेंकर
पिछले साल अप्रैल में सांवेर फोरलेन बायपास पर कान्ह नदी के पुल के समीप एक बने हुए टिन शेड के अहाते में टेंकर खड़ा करके उसमें से इस नदी में रसायन बहाते एक टैंकर को सांवेर पुलिस ने सूचना मिलने पर बरामद किया था, हालाकि पुलिस ने बताया था कि टेंकर का चालक टैंकर छोड़कर भाग गया, तब सांवेर थाने में अज्ञात टेंकर चालक के खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध किया था। इसके बाद वह टेंकर क्रमांक आरजे 09 जी एस 8100 जिस पर गुजराती भाषा में भारत केमिकल लिखा था, कई दिनों तक सांवेर थाने में जप्ती की हालत में पड़ा रहा था और फिर न्यायालय के आदेश पर टेंकर मालिक को सुपुर्दगी में दिया गया था। मामले में पुलिस ने भी बाद में अज्ञात कारणों से न तो टैंकर मालिक पर कोई कारवाई की न ही ये जानने की कोशिश की कि आखिर ये केमिकल कहां से किस फेक्ट्री से लेकर आता है की जानकारी जुटा सकी। अभी इस बात की पक्की आशंका है उसी गिरोह द्वारा कान्ह को जहरीला किया जा रहा है जिसका टेंकर पकड़ा गया था।
सांवेर नप पर 23 करोड़ की सीवरेज का जोर
सांवेर में 23 करोड़ की लागत की सीवरेज योजना लागू करने का दबाव नगर की जनता और चुनी हुई परिषद की मर्जी के खिलाफ लागू करने का दबाव बनाया जा रहा है। नमामि गंगे योजना के बहाने थोपी जा रही इस योजना के बारे में नगर परिषद की पिछली बैठक में अधिकारियों द्वारा तर्क दिया गया कि सांवेर में सीवरेज नहीं डाली गई और गंदा पानी सीधे कान्ह नदी में इसी तरह डाला जाएगा तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हर साल एक करोड़ रूपए से अधिक का अर्थदंड नगर परिषद पर करेगा। इस पर पार्षद सूर्यकुमार ओस्तवाल ने इसी तथ्य को सामने रखा था कि कान्ह नदी तो इंदौर से ही भीषण रूप से दूषित होकर आ रही है और सांवेर के पहले ही इस नदी में जहरीले रसायन उड़ेले जा रहे हैं तो सांवेर में अच्छी भली सड़कें खोदकर 23 करोड़ खर्च करने का क्या मतलब है। इसके बाद भी शासन की ओर से नगर परिषद पर इस योजना को लागू करने का निरंतर दबाव डाला जा रहा है।
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