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गुणवत्ता विहीन फोर्टीफाडट चावल का जिले में वितरण, 578393 लोगो के स्वास्थ्य से खिलवाड़

गुणवत्ता विहीन फोर्टीफाडट चावल का जिले में वितरण, 578393 लोगो के स्वास्थ्य से खिलवाड़

शुक्रवार, 6 जनवरी 2023

/ by News Anuppur

नाॅन प्रबंधक ने अपने ही गुणवत्ता निरीक्षको लगाये आरोप, नही कर पाते क्वालिटी की जांच

अनूपपुर/कोतमा। गरीबों को पोषण सुरक्षा प्रदान किये जाने के नाम पर फोर्टीफाइड चावल (Frtified rice) की गुणवत्ता पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो गया है। नागरिक आपूर्ति विभाग अनूपपुर द्वारा फोर्टीफाइड चावल के नाम पर लोगो के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने में लगे हुये है। मामले में नाॅन के जिला प्रबंधक मधुर खुर्द स्वयं अपने अधीनस्थ कार्यरत क्वालिटी निरीक्षको पर फोर्टीफाइट चावल की जांच (Age Of Rice) का प्रशिक्षण प्राप्त ना करने के कारण नही होने की भ्रामक जानकारी देकर अपने ही काॅर्पोरेशन के मिलिंग नीति के विरूद्ध जाकर मिलरों द्वारा जमा कराये जाने वाले फोर्टीफाइट सीएमआर चावल को बिना गुणवत्ता परखे सीधे पीडीएस दुकानों में भेज कर गरीबों की थाली तक पहुंचाने के कार्य में जुटे हुये है, जो मिलिंग नीति का सीधा उल्लंघन है।

फोर्टीफाइट चावल के नाम पर गरीबो के स्वास्थ्य से खिलवाड़

जिले में चावल की कमी का फायदा उठाने के साथ ही मिलरों का लाभ दिलाने के उद्देश्य से गुणवत्ता विहीन चावल को जमा कराकर उसे तत्काल ही जिले के 306 पीडीएस दुकानों में भेजते हुये 1 लाख 46 हजार 724 परिवार के 5 लाख 78 हजार 393 सदस्यों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। जबकि फोर्टीफाइट चावल की गुणवत्ता के लिये पहले एज आॅफ राईस (चावल की उम्र ) की जांच कराई जानी है। इस जांच के लिये काॅर्पोरेशन द्वारा समय पर नाॅन को कैमिकल उपलब्ध करा दिया गया है। जानकारी के अनुसार एज ऑफ़ राईस की जांच में नये व पुराने चावल की पहचान होती है, जिसमें चावल में कैमिकल डालते ही अगर चावल का कलर हरा हो जाता है तो पुराना होने पर चावल का रंग पीला हो जाता है। लेकिन मिलरों का क्वालिटी निरीक्षकों से सांठगांठ होने तथा प्रत्येक लाॅट के कमीशन पर मिलर नये चावल की जगह पुराने चावल को भेज रहे है। जिससे पुराने चावल की सुरक्षा मंे उपयोग किये गये कीटनाशक के बाद उसी चावल में फोर्टीफाइड बनाने के लिये माइक्रो न्यूट्रिएंट्स मिलाकर लोगो के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।

अपने ही गुणवत्ता निरीक्षको पर लगा दिये प्रश्नचिन्ह

पूरे मामले मे जब जिला प्रबंधक नाॅन मधुर खुर्द से जिले के पंजीकृत राईस मिलरों द्वारा जमा कराये जा रहे चावल की गुणवत्ता के संबंध में पूछा गया। तो उन्होने अपने ही अधीनस्थ गुणवत्ता निरीक्षको पर जांच नही करते बनने तथा अभी प्रशिक्षण नही प्राप्त करने की जानकारी दी गई। जबकि क्षेत्रीय प्रबंधक द्वारा बताया गया है कि पूर्व में ही गुणवत्ता निरीक्षको द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त किया जा चुका है। जहां अपने ही बयान पर स्वयं नाॅन के जिला प्रबंधक मधुर खुर्द उलझ गये है। जिनके द्वारा स्वयं ही मिलिंग नीति का पालन मिलरों से ना करवाने के आरोपो से घिर चुके है। जिला प्रबंधक का कहना है कि अभी वे धान उपार्जन में इतने व्यस्त है कि उन्हे सांस लेने की फुर्सत नही है उनकी प्राथमिकता सिर्फ किसानो को भुगतान दिलाना है, बात भी सही है। लेकिन उसी उपार्जित धान से विभाग द्वारा कराई जा रही मिलिंग व उसके बाद परिदान कराया जा रहे चावल की गुणवत्ता शायद उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। 

गुणवत्ता निरीक्षण हेतु बनी त्रिस्तरीय व्यवस्था कागजों में

मिलिंग नीति के कंडिका 8 में मिलिंग उपरांत निर्मित सीएमआर चावल का भंडारण के बाद चावल की गुणवत्ता परीक्षण त्रिस्तरीय व्यवस्था की गई है। जिसमे कंडिका 8 ब में भंडारण केन्द्र पर गुणवत्ता जांच नाॅन के गुणवत्ता निरीक्षक द्वारा किये जाने, द्वितीय निरीक्षण मिलर द्वारा लाये गये लाॅट के बोरों, टैग, स्टेंसिल एवं कलर कोड़िग तथा दोनो निरीक्षण सही होने पर गुणवत्ता निरीक्षण द्वारा स्वीकार की गई सीएमआर की वेयर हाउस द्वारा भी गुणवत्ता की पुष्टि की जायेगी। इसके बाद कंडिका 8स के अनुसार सार्वजनिक वितरण प्रणाली में चावल प्रदाय करने के पूर्व विकासखंड स्तरीय स्टेक चयन समिति द्वारा चावल की गुणवत्ता का निरीक्षण किया जाना है। लेकिन सीएमआर चावल के गुणवत्ता के निरीक्षण का खेल नाॅन के जिला प्रबंधक द्वारा सिर्फ कागजो में खेला जा रहा है। नाॅन के जिला प्रबंधक द्वारा अपने 6 दिनों के ज्वानिंग में सीएमआर चावल के गुणवत्ता की जांच सिर्फ कागजों में बना दिया गया है। जहां कंडिका 8.7 में गोदामों में स्वीकार की गई सीएमआर की गुणवत्ता काॅर्पोरेशन के गुणवत्ता निरीक्षक उत्तरदायी होने, कंडिका 8.11 में सीएमआर के गुणवत्ता परीक्षण हेतु आवश्यकतानुसार गुणवत्ता मोबाइल एप एवं ग्रेन एनाॅलाईजर मशीन का उपयोग जिससे चावल का हर दाना कितना ठोस है का पता चल सकेगा इस निरीक्षण से दूर कर दिया गया है।

क्या है फोर्टीफाइड चावल

फोर्टिफाइड राइस पोषक तत्व से भरे होते है, जिसमें भारत सरकार द्वारा प्रत्येक गरीब को पोषण सुरक्षा प्रदान करने एवं बच्चों को कुपोषित होने से बचाने हेतु की गई है। जिसमें पाॅयलेट प्रोजेक्ट के रूप में प्रदेश के दो जिलो जिसमें अनूपपुर सिंगरौली से शुरूआत की गई थी। जिसके बाद अब पूरे देश में फोर्टीफाइड चावल का वितरण किया जा रहा है। एक किलो फोर्टिफाइड राइस में आयरन (28-42.5 मिलीग्राम), फॉलिक एसिड (75-125 माइक्रोग्राम), विटामिन बी12 (0.75-1.25 माइक्रोग्राम) होता है। इसके साथ ही जिंक (10-15 मिलीग्राम), विटामिन ए (500-700 माइक्रोग्राम), विटामिन बी1 (1-1.5 एमजी) विटामिन बी2 (1.25-1.75 एमजी), विटामिन बी3 (12.3-20 एमजी) और विटामिन बी6 (1.5-2.5 एमजी) से भी चावलों को फोर्टिफाइड करने की गाइडलान जारी है। लेकिन शासन के इतने बड़े प्रयास को नाॅन के जिला प्रबंधक अनूपपुर द्वारा पानी फेरते हुये फोर्टीफाइड चावल के नाम पर अमानक व गुणवत्ता विहीन चावल परोसा कर लोगो के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालने में लगे हुये है। जहां फोर्टीफाइड चावल के वितरण पर जिले के कई ग्रामीणों में  कई तरह की भ्रांति फैली जिसमें सीएम हेल्पलाईन से लेकर जनपद व जिला पंचायत के सदस्यों द्वारा इसकी शिकायत कलेक्टर व जिला पंचायत सीईओ तक से कर चुके है। असल में ये फोर्टीफाइड चावल गुणवत्ता विहीन होने के बावजूद गरीबो वितरण किये जाने पर फैली हुई है।

इनका कहना है

पहले ही गुणवत्ता निरीक्षको को प्रशिक्षण दिया जा चुका है, अगर फोर्टीफाइड चावल की जांच करते उनसे नही बन रहा है, तो उन्हे दोबारा प्रशिक्षण प्रदान किया जायेगा।

पवन अमरोती, क्षेत्रीय प्रबंधक 
म.प्र. स्टेट सिविल सप्लाईज काॅर्पोरेशन रीवा


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