अनूपपुर में भाजपा को भाजपामय बनाने वाली प्रजाति लुप्त, कांग्रेसियों अर्थात नवीन भाजपाइयो ने चाटुकारिता की परीक्षा की पास
अनूपपुर। आखिरकार आदर्श, सिद्धांत और एकात्म मानववाद के दर्शन पर आधारित राजनीतिक दल भाजपा अब अपनी लहर नापने वाली मशीन की सेहत को नजरअंदाज करना कांग्रेस से सीख ही लिया। जिस जिलाध्यक्ष पर उनके अपने दल के कार्यकर्ता समय-समय पर कई आक्षेप लगाते रहे है। मप्र शासन के खाद्य मंत्री बिसाहू लाल के भाजपा में आने के पश्चात भाजपा संगठन में पूर्व कांग्रेसियों एवं जिलाध्यक्ष ब्रजेश गौतम के खास लोगों का कब्जा है। अनूपपुर में जिन्होंने भाजपा को भाजपा मय बनाया था, उनकी प्रजाति लुप्त है। जो अभी दिख रहे हैं वे चाटुकारिता का अभ्यास की परीक्षा पास कर हैं और जिलाध्यक्ष के रहमोकरम पर मंच के निचले पायदान पर विराजमान हैं। जिन्हें पूर्व कांग्रेसियों अर्थात नवीन भाजपाइयों, पदाधिकारियों का नेतृत्व स्वीकार नही है वे स्वाबलंबी स्वाभिमानी भाजपाई आगामी चुनाव होने के इंतजार में हैं जब उनकी पूछपरख होगी?
इस विसंगतिपूर्ण व्यवस्था का ज्ञान भाजपा प्रदेशनेतृत्व को है किन्तु यहां व्यवस्थित करने के चक्कर में व्यवस्था न बिगड़ जाये यह ख्याल तो व्यक्ति करता ही है। लबोलुआब यह है की ”हंसा सब लुप्त भए, कागा बना दिवान” कांग्रेस को यह लगता है कि उनके जो साथी भाजपा में गये है, वो भाजपा का सेहत बिगाड़ेगे। जिससे नए साल में उनकी सरकार बननी तय है। अनूपपुर नगर पालिका के अध्यक्ष पद के चुनाव में भाजपा के जिलाध्यक्ष ने सबको सरप्राइज देते हुए एक निर्दलीय को नगर पालिका अध्यक्ष बनवा दिया। यह अलग बात है कि इस तरह के कृत्य में लेन देन का बाजार गर्म रहता ही है। अब वही नगर पालिका अध्यक्ष एवं जिलाध्यक्ष ब्रजेश गौतम के निर्देश पर पीआईसी से भाजपा के तीन पार्षदों को बाहर कर तीन कांग्रेसी पार्षदों को शामिल कर पुनर्गठन कर लिया गया है।
इस पर मंत्री बिसाहूलाल ने यह बयान दिया कि मेरे सपनों के विकास में नगर पालिका परिषद ग्रहण लगा दिया। नए पीआईसी के पुनर्गठन को उन्होंने कबड्डी का खेल बताया। सवाल यह है कि इस खेल का रेफरी कौन है? क्या भाजपा जिलाध्यक्ष ? नगर अब सर्वदलीय परिषद से विकास की आस छोड़ चुका है।
भाजपा व नगर पालिका परिषद अनूपपुर की सेहत की देखरेख का जिम्मा अब कांग्रेसियों के हाथ में है, कांग्रेस इसे अपने लिए शुभ संकेत मान सकती है। भाजपा में व्याप्त इस मर्ज का इलाज मात्र आपरेशन हो सकता है। इत्तेफाक से ऑपरेशन मे विलंब हो रहा है और ऑपरेशन विलंब होने का कारण मात्र इतना है कि मर्ज का इलाज करने के लिए मरीज को डाॅक्टर नियुक्त कर दिया गया है। हर सत्ता धारी में यह दोष होता है कि वह स्वयं से श्रेष्ठ किसी को नही मानता। भाजपा में प्रधानमंत्री मोदी के विराट व्यक्तित्व होने का घमंड इस तरह व्याप्त है कि उसे लगता है कि लोकप्रियता का लाइसेंस सिर्फ उसके पास है। इसी तरह के व्यक्तित्व दोष के कारण भाजपा के जिलाध्यक्ष जोड़ तोड़ कर नगरीय निकायों का अपना अध्यक्ष बनाते रहे हैं। जुगाड़ अपनी जगह सही है या गलत, लेकिन जनता की भावनाओं का सम्मान करना लोकप्रिय होने का ग्राफ बढ़ाता है।
जब परिवार अपने मुखिया की कारगुजारियों पर गर्व करने लग जाय, अस्तित्व संकट का आना तय है। निडर, स्वाभिमानी सदस्य विकास व विश्वास के मुद्दे पर सवाल न पूछ ले इसलिए मुखिया उसे कूड़ेदान में डाल देता है। उस कूड़ेदान का नाम मार्गदर्शक मंडल भी नही होता। वर्तमान राजनीति इसी सिद्धांत का पोषक है।
कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें