उपार्जन नीति का खुला उल्लंघन: नजदीकी गोदाम खाली, फिर भी धान की ट्रकें दौड़ रही 50 किमी दूर
इंट्रो- जिले में धान उपार्जन व्यवस्था इस बार सवालों के घेरे में है। स्थानीय किसानों व प्रतिनिधियों का आरोप है कि जिले की प्रभारी डीएम नॉन एवं खाद्य अधिकारी अनीता सोरते ने परिवहन रूट की ऐसी प्लानिंग की है, जिससे नजदीकी गोदामों को नजरअंदाज कर लंबी दूरी वाले गोदामों को प्राथमिकता दी गई है। इस कथित गलत मैपिंग का सीधा लाभ परिवहनकर्ता बृजेश पांडेय को मिल रहा है, जिसे अतिरिक्त परिवहन दूरी के कारण करोड़ों रुपए के फ्रेट भुगतान का फायदा होने की आशंका जताई जा रही है।
अनूपपुर। जिले में उपार्जन प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। आरोप है कि प्रभारी प्रबंधक नॉन अनीता सोरते द्वारा बनाए गए परिवहन रूट प्लान में जानबूझकर लंबी दूरी तय करने वाले मार्ग शामिल किए हैं, जिसके चलते परिवहनकर्ता को करोड़ों रुपये का लाभ पहुंचाया जा रहा है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार जिले में सभी धान उपार्जन केंद्रों के आसपास गोदाम उपलब्ध हैं और उनमें भंडारण की पर्याप्त जगह भी है, फिर भी धान को नजदीकी गोदामों की बजाय 40 से 50 किमी दूर भेजा जा रहा है। इतना ही नही प्रभारी डीएम नॉन ने शासन के नियमों के विपरित जाकर उपार्जित केन्द्रों से परिवहन किये जा रहे धान को ट्रको में क्षमता से अधिक का परिवहन करने तक का आदेश दिया गया है।
यह है मामला
जिले में धान उपार्जन के लिये 34 केन्द्र
बनाये गये, जिले के 1033 किसानो से अब तक 49044.49
क्विंलट धान की खरीदी की चुकी है। लेकिन परिवहन कर्ता द्वारा उपार्जन केन्द्रों
में भंडारण हेतु 46976.09 क्विंटल धान परिवहन हेतु तैयार कर रखे गये है, जिससे उक्त धान को समय पर भंडारण केन्द्र तक पहुंचाकर
समय पर किसानो को उनकी राशि का भुगतान हो
सके। लेकिन परिवहन की धीमी गति के कारण किसानो का उनका भुगतान समय पर नही हो पा
रहा है। वहीं अब तक परिवहनकर्ता द्वारा मात्र 16.89 प्रतिशत ही धान का परिवहन किया
गया है। मामले ने तूल पकते ही खाद्य अधिकारी एवं प्रभारी प्रबंधक नॉन अनीता सोरते की पारदर्शिता,
जवाबदेही और उपार्जन व्यवस्था की
ईमानदारी पर सवाल खड़े हो गये है। स्थानीय प्रतिनिधि और किसान संगठनों ने इस मामले
की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
क्रॉस मूवमेंट का चलाया जा रहा खेल
जिला खाद्य अधिकारी अनीता सोरते ने परिवहन
कर्ता बृजेश पांडेय को लाभ पहुंचाने के चक्कर में उपार्जन नीति के विपरीत जाकर उपार्जन
केन्द्रों के पास बने भंडारण केन्द्रों को छोड़कर लंबी दूरी वाले भंडारण केन्द्रों
की मैपिंग करने के साथ क्रॉस मूवमेंट गेम
खेला गया। इस पूरे गेम में आदिम
जाति सेवा सहकारी समिति पटनाकल (रामकथा मैदान केंद्र) एवं आदिम जाति सेवा सहकारी समिति दुलहरा पॉलीटेक्निक
कॉलेज के पास स्थित मैदन की खरीदी की जा रही धान को 50 किमी दूर ओंम सिंह वेयर हाउस
परासी भेजा जा रहा है। जबकि 5 किमी दूर स्थित शारदा वेयर हाउस बीओटी बरबसपुर का गोदाम
है। इसके साथ ही दुर्गा 2 स्व-सहायता समूह बलबहरा, बलबहरा कृषि मंडी की धान को 30 किमी
दूर शारदा वेयर हाउस बीओटी बरबसपुर
गोदाम भेजा गया, जबकि सिर्फ
10 किमी दूर महावीर वेयरहाउस उपलब्ध था।
उपार्जन नीति के विपरीत परिवहन कार्य
ठेकेदार को लाभ दिलाने के चक्कर में डीएसओं
पर उपार्जन नीति के विपरित जाकर गलत मैपिंग
किये जाने तथा क्रॉस मूवमेंट का खेल से कई सवाल खड़े हो चुके है। जब कम दूरी वाले गोदाम उपलब्ध थे, तो
अधिक दूरी वाले रास्ते क्यों चुना गया? परिवहन दूरी बढ़ने से फ्रेट चार्ज बढ़ेगा, जिससे
सीधे तौर पर परिवहनकर्ता को अधिक भुगतान करना होगा। ग्रामीणों का आरोप है कि यह
पूरा खेल योजना बनाकर किया जा रहा है,
ताकि परिवहनकर्ता को अधिकतम आर्थिक लाभ
मिल सके। मैपिंग उपार्जन नीति के नियमों के विपरीत है। नजदीक गोदाम खाली हैं, फिर
भी धान को 40–50 किलोमीटर दूर ले जाना वित्तीय अनियमितता का सीधा मामला है।
प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल
डीएसओं अनीता सोरते के डीएम नॉन का अतिरिक्त
प्रभार मिलते ही पूरे जिले में मैपिंग की नई व्यवस्था लागू की गई और यह बदलाव नियमों के बजाए ठेकेदार हितों को
ध्यान में रखकर किया गया। उपार्जन नीति का उल्लंघन एवं परिवहन ठेकेदार को लाभ
पहुंचाने के चक्कर में विभाग के करोड़ों
रुपये के सरकारी धन के दुरुपयोग और नीतिगत भ्रष्टाचार का मामला बन सकता है।
ओव्हर लोडिंग पर यातायात विभाग मौन
जिले के 34 उपार्जन केन्द्रों में खरीदी
जा रही धान को परिवहन कर भंडारण केन्द्रों तक पहुंचाने के लिये ट्रकों में ओव्हर
लोड धान का परिवहन कराया जा रहा है, वहीं सड़कों में दौड़ रही धान से लदी ओव्हर लोड़ ट्रकों के कारण यातायात
प्रभारी विनोद दुबे की चुप्पी भी साफ दिखलाई
जा रही है। एक तरफ यातायात प्रभारी द्वारा यातायात नियमों का पालन हेतु आम लोगो को
पाठ पढ़ाया जा रहा है। लेकिन सड़कों पर दौड़ रहे धान से लदे ओव्हर लोड़ ट्रकों पर कार्यवाही करने से बचने के
कारण उनकी कार्य शैली पर प्रश्न चिन्ह खड़े हो रहे है।


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