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कोरजा उपक्षेत्र से प्रभावित कृषको ने राष्ट्रपति से मांगी इच्छामृत्यु की अनुमति

कोरजा उपक्षेत्र से प्रभावित कृषको ने राष्ट्रपति से मांगी इच्छामृत्यु की अनुमति

शुक्रवार, 30 मार्च 2018

/ by News Anuppur






बिना भूमि अधिग्रहित किए भूमि के नीचे से निकाल लिए कोयला

अनूपपुर/बिजुरी। जिले के ग्राम कोरजा, पडरीपानी, दलदल तथा रेउन्दा में निवास करने वाले आदिवासी किसानो ने एसईसीएल हसदेव क्षेत्र के कोरजा उपक्षेत्र द्वारा बिना किसी अनुमति तथा बिना भूमि अधिग्रहित किए हुए चोरी से आदिवासियो की कृषि योग्य भूमि के नीचे से कोयला उत्खनन कर 314.780 हेक्टेयर जमीन पूरी से बंजर हो गई है तथा 231 किसान प्रभावित हो गए है। जिसके बाद प्रभावित किसानो ने 22 मार्च को दिल्ली पहुंच राष्ट्रपति के नाम किसानो ने ज्ञापन सौंपते हुए इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी। वहीं ज्ञापन के माध्यम से किसानो ने बताया कि वर्ष 2006 से बिना अनुमति एवं आदिवासियो के चोरी से भूमिगत खदान चलाकर कोयला उत्खनन किया रहा है, जिसके कारण चारो ग्रामो का जल स्तर समाप्त हो गया है तथा यहां के कुएं, तालाब सहित प्राकृतिक स्त्रोत भी पूरी तरह से सूख गए है। वहीं कॉलरी के अधिकारियो द्वारा कोयलाधारक क्षेत्र अधिनियम 1957 की धारा 04(1) के तहत अधिसूचना २१ अगस्त २०१२ को जारी करा उक्त ग्रामो के जमीनो के अंदर कोयला मिलने की संभावना की तलाश हेतु अधिसूचना जारी की जाती है, जबकि उक्त ग्रामो की जमीनो के अंदर से कोयला वर्ष २००६ से निकाला जा रहा है जिसके कारण पूरी जमीन खोखली हो चुकी है। वहीं कोयला कंपनी के अधिकारियो ने कोल बियरिंग अधिनियम की धारा 07(1) के तहत दिनांक 18 मई 2013 तथा धारा 09, दिनांक 05 मई 2014 तथा धारा 11, दिनांक 28 अप्रैल २०१५ को अधिसूचनाएं जारी कराई परंतु किसानो को तथा भारत सरकार को आज तक अंधेरे में रखा जा रहा है। किसानो को न तो मुआवजा दिया गया और न ही नौकरी प्रदान की गई। जिसके बाद प्रभावित किसानो ने कई बार धरना प्रदर्शन, आंदोलन किया जिसमें राज्य प्रशासन के अधिकारियो के हस्ताक्षेप पर कोयला अधिकारियो ने सभी किसानो को भूमि का मुआवजा तथा नौकरी देने हेतु आश्वासन देकर टाल मटोल किया जाता रहा है। वहीं कोरजा उपक्षेत्र द्वारा वर्ष 2016 तक कोयला उत्खनन किया गया तथा अब कंपनी के अधिकारियो द्वारा एडीशनल सालिसीटर जनरल के पास खदान के डिनोटिफिकेशन हेतु अभिमत मांगा गया है जिसके बाद ही आगे की कार्यवाही किए जाने का बीते 1 वर्ष से लगातार बहाना बनाया जा रह है। जबकि डिनोटिफिकेशन के लिए एैसा कोई प्रावधान कोल वियरिंग एरिया एक्ट में ही नही है। वहीं कोयला मंत्रालय नई दिल्ली से 9 फरवरी 2018 को अध्यक्ष सह मैनेजिंग डायरेक्टर एसईसीएल को भेजकर दो सप्ताह के अंदर जवाब मांगा गया परंतु सीएमडी ने आज तक एसईसीएल के अध्यक्ष की ओर से कोई उत्तर मंत्रालय नही भेजा गया। जिसके कारण ग्राम कोरजा, पडरीपानी, दलदल एवं रेउंदा के अनुसूचित जनजाति के किसानो में रामसिंह, शिव कुमार सॉवले, लखन सिंह गोंड, मुनेश्वर सिंह गोंड़, रामलाल पाव, बब्बू पाव, गेंदलाल पाव, धनकुमार कोल, गोविन्द सिंह गोंड, मोतीलाल, श्यामा बाई, रामदयाल गोंड, फूल कुंवर गोड, झुल्को बाई गोंड, केदार सिंह गोंड ने इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी है।

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