प्रदीप मिश्रा, कोतमा। एसईसीएल जमुना कोतमा क्षेत्र अंतर्गत आमाड़ाड खुली खदान में कोयला उत्खनन के लिए कॉलरी प्रबंधन द्वारा हैवी ब्लास्टिंग की जाती है, जिसके कारण आसपास के ग्रामीण क्षेत्रो में जहां प्रदूषण का खतरा बना हुआ है वहीं ग्रामीणों को भी परेशान होना पड़ रहा है। जहां ब्लॉस्टिंग के कंपन से आसपास के दर्जनो गांव के ग्रामीण भय में रह रहे है, जिसको लेकर ग्रामीणो ने कॉलरी प्रबंधक सहित जिला प्रशासन को भी इसकी जानकारी दी जा चुकी है, बावजूद इसके अब तक इस ओर किसी तरह का निराकरण नहीं किया जा सका है। दूसरी ओर कॉलरी प्रबंधक द्वारा मनमाने तरीके से ब्लास्टिंग कर कोयला उत्पादन करने में जुटे हुए है। कोयला उत्खनन के लिए की जा रही हैवी ब्लास्टिंग से जहां आसपास का जल स्तर नीचे चला गया है, वहीं दर्जनो गांव के कुएं एवं प्राकृतिक जल स्त्रोत पूरी तरह से सूख चुके है। वहीं ग्रामीण पेयजल के लिए भटकने को मजबूर है। वहीं कॉलरी प्रबंधक द्वारा की जा रही ब्लास्टिंग से लगभग 300 मीटर दूरी पर सरकारी भवन है जिसमें स्कूली बच्चे आंगनबाड़ी भवन सहित आसपास हजारों की संख्या में ग्रामीणों निवास करते है। जिससे उनमें रात दिन दहशत के महौल में जीना पड़ रहा है।
कॉलरी द्वारा की जा रही हैवी ब्लॉस्टिंग से ग्रामीणो में दहशत
कॉलरी द्वारा की जा रही हैवी ब्लॉस्टिंग से ग्रामीणो में दहशत
प्रदीप मिश्रा, कोतमा। एसईसीएल जमुना कोतमा क्षेत्र अंतर्गत आमाड़ाड खुली खदान में कोयला उत्खनन के लिए कॉलरी प्रबंधन द्वारा हैवी ब्लास्टिंग की जाती है, जिसके कारण आसपास के ग्रामीण क्षेत्रो में जहां प्रदूषण का खतरा बना हुआ है वहीं ग्रामीणों को भी परेशान होना पड़ रहा है। जहां ब्लॉस्टिंग के कंपन से आसपास के दर्जनो गांव के ग्रामीण भय में रह रहे है, जिसको लेकर ग्रामीणो ने कॉलरी प्रबंधक सहित जिला प्रशासन को भी इसकी जानकारी दी जा चुकी है, बावजूद इसके अब तक इस ओर किसी तरह का निराकरण नहीं किया जा सका है। दूसरी ओर कॉलरी प्रबंधक द्वारा मनमाने तरीके से ब्लास्टिंग कर कोयला उत्पादन करने में जुटे हुए है। कोयला उत्खनन के लिए की जा रही हैवी ब्लास्टिंग से जहां आसपास का जल स्तर नीचे चला गया है, वहीं दर्जनो गांव के कुएं एवं प्राकृतिक जल स्त्रोत पूरी तरह से सूख चुके है। वहीं ग्रामीण पेयजल के लिए भटकने को मजबूर है। वहीं कॉलरी प्रबंधक द्वारा की जा रही ब्लास्टिंग से लगभग 300 मीटर दूरी पर सरकारी भवन है जिसमें स्कूली बच्चे आंगनबाड़ी भवन सहित आसपास हजारों की संख्या में ग्रामीणों निवास करते है। जिससे उनमें रात दिन दहशत के महौल में जीना पड़ रहा है।

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