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प्रशासनिक अक्षमता से कलमकार की स्वतंत्र कलम हुई गिरवी, शब्द विद्रोही फिर भी पहरे में

शनिवार, 2 नवंबर 2019

/ by News Anuppur
कलमकार अमित शुक्ला 

अमित शुक्ला, अनूपपुर। विकासशील अनूपपुर जिले में प्रशासानिक अक्षता के कारण आज न तो विकासशील रह गया है और न ही परिवर्तनशील। जैव विविधता एवं प्राकृतिक सौदर्य से परिपूर्ण अनूपपुर जिले की हालत आज बद से बदतर हो गई है, इतनी अव्यवस्थाओं के बीच मीडियाकर्मियो द्वारा आलोचनात्मक खबर लिखे जाने पर प्रशासन उन समस्याओं पर संज्ञान लेने की बजाय मीडिया कर्मियो पर ही दवाब बनाने के प्रयास में जुट जाती है। समस्याओं के निराकरण नही होने व शासन प्रशासन द्वारा कोई ध्यान नही देने पर आमजन पत्रकार के पास पहुंच अपनी समस्या सुनाता है और उसे विश्वास होता है कि उनकी समस्याएं अब समाधान की ओर बढ़ सकती है, जिस पर पत्रकार उन समस्या के ऊपर लिख शासन प्रशासन तक अपनी खबरो के माध्यम से ध्यान आकृष्ट कराता है। लेकिन आज प्रशासन ने पत्रकारिता की दशा और दिशा दोनो को बदलने का काम कर रही है। प्रशासन की आकर्मणता, अक्षमता और कार्यशैली पर आइना दिखाने वाले पत्रकारो पर ही प्रशासन दवाब बनाती आ रही है। प्रशासन अनूपपुर जिले के कलमकारो की स्वतंत्र कलम को अपने पास गिरवी रखने का कार्य कर रही है। कलम स्वतंत्र है फिर भी गिरवी है, शब्द विद्रोही है फिर भी पहरे में है। अनूपपुर जिले में कई ऐसे मामले सामने आए जिसमें प्रशासन की भ्रष्ट नीतियों को उजागर किया। जिस पर प्रशासन अपने कार्यालयीन आदेश के माध्यम से पत्रकारो पर मानहानि करने का नोटिस जारी किया है। वहीं दूसरी ओर पत्रकारो को धमकी देने के साथ ही झूठी शिकायत में फंसा देने तक के मामले सामने आए है। जिससे आक्रोशित अनूपपुर जिले के पत्रकारो ने प्रशासन के कार्यक्रमों में काली पट्टी बांध का शांति पूर्वक विरोध करते हुए अपना कार्य किया। अनूपपुर कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर से ही एक सवाल है की हमारा शहर क्या रहने लायक है, अगर रहने लायक हैं तो कितना रहने लायक। ऐसे प्रश्न उतना जरूरी है जितना इन प्रश्रो के उत्तर। हमारे शहर लगातार विस्थापन और पुनर्वास से गुजर रहे हैं। यहां स्थिरता नाम की चीज ही नही है न इनकी संस्कृति की चिंता है, न परिवेश की, बस चिंता है तो प्रशासन इन सभी कार्यो में कितना दिखावा कर सकता है। लोग यहां खुद को कितना सुरक्षित महसूस करते है, यह बताने की जरूरत नहीं है। इनमें बड़ी आबादी ऐसी है जो मूलभूत चिकित्सा सेवा से भी वंचित है। सड़क, बिजली, पानी के मोर्चे पर भी समस्याएं जितनी सुलझाई जाती हैं उससे ज्यादा तो प्रशासन अपने आप को स्वयं उलझा कर रख दिए है। बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे हैं जो उचित शिक्षा से वंचित हैं, शासकीय विद्यालयो की स्थिति व शिक्षा की गुणवत्ता कितनी है यह तो आए दिन देखने व सुनने को मिल ही जाता है। प्रशासनिक अक्षमता के कारण नागरिक भी शहर को रहने लायक बनते देखने की आस में अपनी आंखो की नमी खोते जा रहे है। 

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