Responsive Ad Slot

ताजा खबर

latest

भ्रष्टाचार रोको रिश्वत अपने आप होगी बंद - अमित शुक्ला की कलम से

रविवार, 3 नवंबर 2019

/ by News Anuppur
अमित शुक्ला 

अनूपपुर। जिले में व्याप्त भ्रष्टाचार किसी से छिपा नही है, हर एक आम आदमी जानता है कि भ्रष्टाचार ही रिश्वतखोरी को जन्म देता है। आम आदमी रिश्वतखोरी को ऊपरी कमाई का जरिया के नाम से जानता है। वैसे तो रिश्वत लेना और देना दोनो अपराध है फिर भी आए दिन विभिन्न समाचार पत्रों में अधिकारियों एवं नेताओं के रिश्वत लेने के कई कारनामे उजागर हुए है। वहीं आमजन मानस भी किसी काम को निकलवाले के लिए रिश्वत देना उनके दिमाग में घर कर गई है। बात भी सही है कौन सा उनके अकेले की पहल से देश बदलेगा, भ्रष्टाचार बदलेगा या फिर रिश्वतखोरी रूकेगी और इसी सोच से नौकशाही में लगातार भ्रष्टाचार और रिश्वत बढ़ती जा रही है। ऐसे ही एक मामला अनूपपुर जिले का सामने आया, जहां भ्रष्टाचार को जन्म देने से रोकने एवं रिश्वत देने से मना करने का साहस दिखाया गया। मामला जनपद पंचायत जैतहरी अंतर्गत ग्राम पंचायत वेंकटनगर सरपंच दादू राम पनिका का है, जिससे सीईओ साहब जनपद जैतहरी द्वारा मांगे गए रिश्वत की शिकायत जिला प्रशासन से एवं पूरे ग्राम पंचायत के सामने जातिगत अपमानित किए जाने की शिकायत पुलिस प्रशासन से की गई। जहां शिकायतो का लंबा दौर चला और अपने मांग के लिए अड़े रहने पर जिला पंचायत सीईओ अनूपपुर सरोधन सिंह साहब ने जांच के नाम पर जैतहरी जनपद सीईओ को जनपद से हटाते हुए जिला पंचायत अनूपपुर में संलग्र कर दिया। लेकिन जिला पंचायत सीईओ ने फिर एक जादू चलाया और अपने ही दूसरे आदेश में संशोधन का नाम देकर जनपद सीईओ को जनपद अनूपपुर का नया उपहार दे दिया फिर अचानक एक और नए आदेश ने तीसरे दिन जन्म ले लिया जिसमें फिर से अपने दो दिन पुराने आदेश को यथावत कर दिया। लगातार तीन दिन में तीन आदेश एक ही अधिकारी के लिए जारी किए पर जहां जिला पंचायत सीईओ चर्चा में आए है। लेकिन सरपंच ने कमाल कर दिया अपनी मांगो के लिए आमरण अनशन पर शांति पूर्वक बैठे है। लेकिन अगर दूसरी तरफ देखा जाए तो लोगो के मन में भ्रष्टाचार को लेकर एक बात घर कर गई है कि रिश्वत देकर कठिन से कठिन और बड़ा से बड़ा काम आसानी से कराया जा सकता है। वैसे उनकी सोच लाजमी है रिश्वत से शासकीय योजनाओं के लाभ पाने से लेकर स्कूलो में एडमिशन, ट्रेन में रिजर्वेशन, राशनकार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, नौकरी यहां तक की वाहनो के चालान, सरकारी ठेका लेने जैसे कई कार्यो को रिश्वत देकर या फिर लेकर पाया जा सकता है। सरकारी दफ्तरों में रिश्वत लेने का सिलसिला बहुत पुराना है, जो अब तो कहानी बन गई है। इसका तो देश, प्रदेश, जिला सहित ग्रामीण आंचलो तक प्रचलन है, जिसकी आए दिन खबरे भी प्रकाशित होती आई है। एक कहावत भी लोगो ने बना ली है कि जब तक हाथ की गदेली गर्म न की जाए तब तक फाइल एक ही टेबिल में अटकी रहती है। हथेली गर्म करो फाइल अपने आप सरक जाती है। वैसे भी इस मर्ज की दवा भी हुई है, जो छोटे-बड़े ऑपरेशन की तरह रहे और डॉक्टर रूपी लोगो ने भी इसे सफल किया है। अनूपपुर जिले के लिए भी एक कहावत कहना गलत नही होगा की कोई और खजाना लूट ले इससे पहले हम ही लूट लेते है। मगर इस भ्रष्टाचार की मार में हम यह भी भूल जाते हैं कि इसकी मार तीसरे आदमी पर भयावह तरीके से पड़ सकती है। वैसे मेरा एक मानना है कि हमें ईमानदार बनने की सर्वप्रथम शुरूआत स्वयं आगे करनी होगी। इस समस्या का हल न तो सरकार के पास है, ना नौकरशाहो के पास, हल सिर्फ स्वयं लोगों के पास है। जनता को सोचना होगा कि वे एक ईमानदार देश के नागरिक होने का गौरव प्राप्त करना चाहते हैं या एक भ्रष्टाचार के कीचड़ में धंस कर नौकरशाहो के भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना चाहते है। सत्ताधीशों की जिम्मेदारी है कि वे भ्रष्टाचार मिटाने के ठोस कदम उठाते हुए रिश्वतखोरी के खिलाफ  बने कानून को असरदार कर इस कलंक को देश, प्रदेश, जिले से मिटाएं। 


कोई टिप्पणी नहीं

एक टिप्पणी भेजें

'
Don't Miss
© all rights reserved
made with NEWSANUPPUR