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समर्थ राष्ट्र बनाने छोटा ही लेकिन विश्वविद्यालय निभाएगा महत्वपूर्ण कदम - कुलपति श्री त्रिपाठी

समर्थ राष्ट्र बनाने छोटा ही लेकिन विश्वविद्यालय निभाएगा महत्वपूर्ण कदम - कुलपति श्री त्रिपाठी

गुरुवार, 28 मई 2020

/ by News Anuppur

अमरकंटक विश्वविद्यालय के प्रोजेक्ट से 6 राज्यों के युवा होगें लाभान्वित, 15 हजार उत्पादों के लिए अनेक उद्यम होगे स्थापित
अनूपपुर। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक को इलेक्ट्राॅनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रोजेक्ट के लिए 395 लाख रूपए के बजट एवं 31 पदों के साथ अनुमोदित किए जाने पर कुलपति श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने 27 मई को साक्षत्कार के माध्यम से पत्रकारों द्वारा किए गए सवालो पर बताया कि यह प्रोजेक्ट शिक्षित बेरोजगारों के लिए सुनहरा अवसर लेकर आया है, जिसमें सभी वर्गो का ध्यान रखा गया है। प्रोजेक्ट के दो भागों जिसमें पहला अनुसंधान और विकास तथा दूसरा उद्यमिता प्रशिक्षण है। यह प्रोजेक्ट ज्ञान के माध्यम से पूरी दुनिया में भारत को समृद्ध राष्ट्र बनाने में अपना योगदान देगा, उद्यमिता स्थापित करवाने के लिए अलग-अलग कई क्षेत्रों के लिए उद्योग शुरू करवाएं जाएंगे। अलग-अलग क्षेत्रों में 15 हजार उत्पादों को अनेक उद्यमों को स्थापित करके इन्हे निर्मित किए जाने की अंसीम संभावना है। विकास की संभावना सभी जगह होती है, बस विकास की दिशा होना चाहिए और वह दिशा वहां तक पहुंचनी चाहिए। इस योजना के माध्यम से इस क्षेत्र को लोगो को लाभ होगा, विशेष कर कृषि क्षेत्र है जो दुनिया को कोरोना आपदा से बचाकर रखा है,  कोरोना आपदा के समय किसी ने दुनिया को संभाल कर रखा है, वह है कृषि क्षेत्र, आपदा के समय उद्योग खत्म हो गए, लोग सुख-सुविधाओं से दूर हो गए, लेकिन इस बीच अन्न ने हमारा काम किया। इस कारण चिकित्सको के सामान ही किसानो को देव के रूम में देखा जाता है, इस प्रोजेक्ट में अन्नदाताओं के लिए अच्छी-अच्छी योजनाएं है। प्रोजेक्ट हेड डाॅ. विकास सिंह के प्रोजोक्ट के माध्यम से इलेक्ट्राॅनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार द्वारा स्वीकृत करा कर लाया गया है, 395 लाख के इस प्रोजेक्ट से 6 राज्य लाभान्वित होगे। जिसमें मध्य-प्रदेश सहित छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, झारखंड एवं बिहार है। इस योजना का आधारभूत सिद्धांत, संरचना व लक्ष्य पूरे देष के लिए है, सभी किसानो, नवजवानों, शिक्षको, बेरोजगारों के लिए है। इस योजना में भारत सरकार के साथ मिलकर प्रशिक्षण का कार्यक्रम है लघु, सूक्ष्म और माध्यम श्रेणी के और उन उद्योगो को सांचालित करने के लिए जो ऑनलाइन राजिस्ट्रेशन के साथ उनको प्रशिक्षण देना है उसके लिए आवष्यक है कि किसी कंपनी के साथ उसका अनुबंध हो जाना, प्रषिक्षण के बाद लोन दिलाने की व्यवस्था है, सरकार की तरफ से अनुबंध है और यह सब इसलिए है कि स्किल डेवलपमेंट कार्य हो, मेड इन इंडिया, समर्थ भारत, आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा करने के लिए योजना बनाई गई है। हमारे आसपास का परिवेश में उत्पन्न वनस्पती और उसका जड़ औषधीय न हो। हम जिस क्षेत्र में रहते है यहां कंद मूल का बहुत ज्यादा विधान है, कंद को हम इस तरह से विकसित करे जो अन्न का विकल्प तो बन बने लेकिन ह्यूमिनीटी पावर बढ़ सके। बहुत से एैसे कंद है जिसे खाने भूख प्यास नही लगती लेकिन ऊर्जा पर्याप्त मिलती है, इस परियोजना का उद्देश्य लोगो को समर्थ बनाना है। आज की जो दुनिया को ज्ञान शक्ति का विश्व कहते है इसमें वहीं राष्ट्र आगे जाएगा जिसके पास ज्ञान की विपुल संपदा हो। हमारे लिए सारे रिसर्च इसीलिए हो रहे है कि ज्ञान को और समृद्ध कर सके। ज्ञान के क्षेत्र में हिन्दुस्तान महा शक्ति के रूप स्थापित हो इसके लिए हम रिसर्च पर सबसे ज्यादा बल दे रहे है। शीघ्र ही हिन्दुस्तान दुनिया का सुपर नाॅलेज आॅफ पावर बनेगा और इसमें हमारे विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।
कुलपति श्री त्रिपाठी ने बताया कि आने वाला समय कुछ विलुप्त फसलीय प्राजातीय का होगा, यहां अनेक प्रकार के अदरक का उत्पादन होता है, यहां अनोखा क्षेत्र है जहां 36 प्रकार की साग होती है। मैने देखा है कि यह अकेला क्षेत्र है जहां वृक्ष के ऊपर साग होता है। जिसकी पत्तियां साग के रूप में खाई जाती है मैने कल ही इसका सेवन किया, जो अत्याधिक स्वादिष्ट भी और पौष्टिक भी रही। इसका अंतराष्ट्रीय स्तर पर हम विपणन का विधान करेंगे और कैसा इसका विस्तार हो, कैसे संरक्षण हो कैसे संवर्धन हो यह भी हमारी योजना है, हम क्रमश: इस प्रोजेक्ट पर विस्तार करेगें। अभी 395 लाख का है ट्रेनिंग और आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने वाला आगे और क्या-क्या जोड़ सकते है क्योकि यह योजना स्थानीय नही है यह राष्ट्रीय है और कलांतर में इसे वैश्विक बनाना है। जो मोदी जी का संकल्प है कि लोकल को ग्लोबल बनाएगे यह सब योजना इसके अंतर्गत है। मुझे पूरा विश्वास है कि योजना सफल होगी बहुत सारे लोगो को रोजगार मिलेगा, विश्वविद्यालय से पढ़कर जो विद्यार्थी यहां से निकले जिन्हे आजीविका को बेहतरीन साधन नही मिला है उन्हे उद्यमता का साधन मिलेगा और समर्थ राष्ट्र बनाने की दिशा में छोटा ही लेकिन महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाएगें।

कुलपति ने बताया की जब मै विश्वविद्यालय आया तो दो योजनाएं लेकर आया हॅू, जिसमें आदिवासी समुदाय का राष्ट्रीय सम्मेलन कराना और उसके बाद इंटरनेशनल कनेक्ट पूरी दुनिया में जहां भी आदिवासी समुदाय है उनके प्रतिनिधि आएगें। समुदाय विशेष के लिए मेरा विशेष चिंता विकास की आधुनिक धारा उनके पास नही है, जो आज उन तक पहुंचनी चाहिए। विकास का सबसे पहला सोपान विशेष शिक्षा होता है, शिक्षा के माध्यम से चमत्कारी परिवर्तन इस क्षेत्र के लिए हो, यहां के लोगो के लिए हो यह देखना मेरा ध्येय है। गुणवत्तापरक अनुसंधान कार्य हो, विद्यार्थी जीवन के कई क्षेत्रो कला, संस्कृति, ज्ञान, विज्ञान एवं अध्यात्म जहां भी जाएं शिक्षा का नाम करे, राष्ट्र का नाम करे और क्षेत्र का नाम करे। इस दौरान बैठक में प्रोजेक्ट के अध्यक्ष प्रो. ए.के. शुक्ला, प्रोजेक्ट हेड डाॅ. विकास सिंह, डाॅ. मनीषा शर्मा उपस्थित रही।

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